Mahendra Madhukar
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महेंद्र मधुकर
महेंद्र मधुकर का जन्म 2 जनवरी, 1940 को सीतामढ़ी, बिहार में हुआ। उन्होंने हिन्दी एवं संस्कृत में एम.ए. किया। उन्हें पी-एच.डी.
एवं डी.लिट्. की उपाधि प्राप्त है। वे बिहार विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रोफेसर एमेरिटस रह चुके हैं। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘लोपामुद्रा’, ‘दमयन्ती और भी’, ‘बरहम बाबा की गाछी’, ‘कस्मै देवाय’, ‘त्र्यंबकम यजामहे’, ‘वसंतसेना’, ‘नटखेला उर्फ़ बन्ना गोसाईं’, ‘वक्रतुण्ड’, ‘मैत्रेयी’, ‘कैक्टस लेन’, ‘वासवदत्ता’ (उपन्यास); ‘आषाढ़ के बादल’, ‘अस्वीकृत इन्द्रधनुष’, ‘आगे दूर तक मरुथल है’, ‘हरे हैं शाल वन’, ‘मुझे पसन्द है पृथ्वी’, ‘अब दिखेगा सूर्य’, ‘तमालपत्र’, ‘शिप्रावात’, ‘प्रतिपदा’ (गीत-कविता); ‘महादेवी की काव्य-चेतना’, ‘उपमा अलंकार : उद्भव और विकास’, ‘काव्यभाषा के सिद्धान्त’, ‘मेघदूत आज भी’, ‘मेघदूत पर व्याख्यान’, ‘भारतीय काव्यशास्त्र’ (आलोचना); ‘माँगूँ सबसे बैर’, ‘बयान कलमबंद’ (व्यंग्य); ‘पराशक्ति श्रीसीता और अवतरण भूमि : सीतामही’, ‘सीता परिणयम्’, ‘संस्कृत महाकाव्य’, ‘नया आलोचक’, ‘अनासक्ति दर्शन’ (सम्पादन)।
उनके साहित्यिक अवदान के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के ‘महात्मा गांधी सम्मान’ सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
सम्पर्क : मंजुलप्रिया, पशुपति लेन, क्लब रोड, मिठनपुरा, मुज़फ़्फ़रपुर-842002 (बिहार)।