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Govind Chatak
2 Books
गोविन्द चातक
गोविन्द चातक ने हिन्दी नाट्यालोचना को एक नई दिशा दी है। उनकी पुस्तकों—‘प्रसाद के नाटक : स्वरूप और संरचना’ तथा ‘प्रसाद के नाटक : सर्जनात्मक धरातल और भाषिक चेतना’—ने इस क्षेत्र में प्रस्थान-बिन्दु का कार्य किया। ‘आधुनिक हिन्दी नाटक का अग्रदूत : मोहन राकेश’ में उनकी नाट्य-समीक्षा के कई महत्त्वपूर्ण आयाम प्रस्फुटित हुए हैं। इसी परम्परा में उनकी ‘आधुनिक हिन्दी नाटक : भाषिक और संवाद-संरचना’ तथा ‘नाटककार जगदीशचन्द्र माथुर’ आदि पुस्तकें व्यावहारिक आलोचना के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण देन मानी जाती हैं। ‘नाट्य-भाषा’ और ‘नाटक की साहित्यिक संरचना’ सैद्धान्तिक आलोचना के क्षेत्र में विरल कृतियों में अपना स्थान रखती हैं।
निधन : 9 जून, 2007