Alap aur Antrang-Hard Back

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संवाद-संलाप—समाज से, अपने बीते हुए से, अपने आज से और अन्ततः अपने आप से—अपने के भी अपने से। उस अपने से जो दिन-रात समय की गर्दिश में तिल-तिल मिटता है, बनता है और इसी मिटने-बनने की प्रक्रिया में कहीं अपने समय और अपने समाज की धड़कनों को कुछ और क़रीब से सुन पाता है—यही गोचर-अगोचर सृष्टि का भीतर से सुनना—आलाप और अन्तरंग है। संवाद-संलाप में गुँथे होने के बावजूद विच्छिन्न चिन्तन से भरा यह स्वर-आलाप। स्वगत संवाद और एकालाप से लेकर संवाद-संलाप की व्याकुलता-भरी बहुवर्णी छवियाँ और भंगिमाएँ इसी आलाप की संस्कृति का आईना हैं। एक प्रकार से आलाप में आकार लेता राग का अन्तरंग...। इसी दुनिया में रहते हुए कब किसी और दुनिया(यह ‘और’ दुनिया दूसरी अथवा पराई नहीं बल्कि यह ‘और’ तो कहीं ज़्यादा अपनी है...अपने से भी ज़्यादा अपनी) में चला जाता हूँ; कोई है मुझ में जो मुझसे सवाल-दर-सवाल करता चला जाता है, कोई है मुझमें जो टूट-टूट कर अपने को फिर-फिर गढ़ता जाता है..., कोई है मुझमें जो रक्तस्नात-सा मेरी आँखों के सामने हर घड़ी मूर्तिवत् छाया रहता है...उसकी और उसमें समाई न जाने किस-किस की आर्त पुकार लगातार मेरा पीछा करती है—इसी आर्त पुकार से उपजे कुछ भाव-विचारों के अग्नि-स्फुलिंग चटक कर बिखर गए हैं—किसी टूटे हुए तारे की तरह। गोया टूटे हुए तारों का आलाप...टूटे हुए तारों की क्षणिक कौंध का यह बिखरा-बिखरा सिमटा हुआ-सा हुजूम...इस कौंध में जो जितना रोशन हो गया मेरे अघाए मन ने अधीत भाव से उसे प्रसादवत् ग्रहण कर लिया।

—इसी पुस्‍तक से

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 155p
Price ₹200.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 14 X 2
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Govind Prasad

Author: Govind Prasad

गोबिन्द प्रसाद

जन्म : 26 अगस्त, 1955 को बाजार सीताराम, पुरानी दिल्ली में।

शिक्षा : शुरू से आख़‍िर तक दिल्ली में ही। ‘अज्ञेय के साहित्य में काल-दृष्टि’ विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली से सन् 1992 में पीएच.डी. की उपाधि।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘कोई ऐसा शब्द दो’ (1996) और ‘मैं नहीं था लिखते समय’ (2007) दो कविता-संग्रह प्रकाशित। त्रिलोचन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित पुस्तक ‘त्रिलोचन के बारे में’ (1994) और ‘नयी कविता’ तथा प्रगतिशील कविता के महत्त्वपूर्ण कवियों पर आलोचना पुस्तक ‘कविता के सम्मुख’ (2002) प्रकाशित। ‘मलयज की डायरी’ (2000) का प्रो. नामवर सिंह के साथ सह-सम्‍पादन तथा ‘वर्तमान साहित्य’ पत्रिका के ‘शताब्दी कथा साहित्य विशेषांक’ (जनवरी-फ़रवरी 2000) व ‘शताब्दी कविता विशेषांक’ (मई-जून 2004) का सह-सम्पादन। फ़ि‍राक़ गोरखपुरी की बहुचर्चित कृति ‘उर्दू की इश्‍क़ि‍या शायरी’ (1998) तथा उर्दू के महत्त्वपूर्ण आलोचक शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की ‘उर्दू का इब्तिदाई ज़माना’ पुस्‍तक का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित। ईरान सांस्कृतिक शोध केन्द्र से दो खंडों में प्रकाशित ‘फ़ारसी-हिन्दी कोश’ (2001) तथा ‘फ़रहंगे-आर्यान’ (फ़ारसी-हिन्दी-अंग्रेज़ी-उर्दू कोश) के अभी तक प्रकाशित दो खंडों का सम्पादन।

हिन्दोस्तानी राग संगीत के महत्त्वपूर्ण ख़याल गायकों तथा चित्रकला पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित।

भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् (ICCR) की ओर से सन् 2008 में दो वर्ष के लिए सोफ़ि‍या विश्वविद्यालय, बल्गारिया में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर के रूप में अध्यापन। भारतीय शास्त्रीय संगीत और चित्रकला में गहरी अभिरुचि।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के भारतीय भाषा केन्द्र में एसोशिएट प्रोफ़ेसर।

 

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