महाकवि विलियम शेक्सपियर ने अपने ऐतिहासिक नाटक जूलियस सीज़र में प्राचीन रोम के घटना-क्रम के चित्रण के माध्यम से विश्व राजनीतिक मंच के रागद्वेष, द्रोह, विश्वासघात, उठापटक, हार-जीत का ऐसा रोचक और कालजयी चित्र उपस्थित किया था जो पूरे संसार में घटित होता रहता है।
उससे प्रेरित होकर कवि अरविन्द कुमार ने उसका भारतीय काव्य रूपान्तर प्रस्तुत किया है। इसकी दो विशेषताएँ हैं—
भाषा और छन्द में प्रयोग—इस रूपान्तर की प्रांजल हिन्दी के लिए अंग्रेज़ी के छन्द ‘आयंबिक पैंटामीटर’ का ही उपयोग किया गया है। इस छन्द में आरम्भिक प्रयोग श्री अरविन्द कुमार ने पचासादि दशक से ही आरम्भ कर दिए थे, विशेषकर अपनी प्रसिद्ध कविता ‘राम का अन्तर्द्वन्द्व’ में। इस छन्द की छटा देखने-पढ़ने से ही पता चल सकती है।
रूपान्तर कला—इसकी पृष्ठभूमि में है एक अनोखी कल्पना—सिन्धु घाटी में कल्पित एक सैंधव गणराज्य और मोहनजोदड़ो जैसा एक काल्पनिक नगर धारावती। इनका अधिनायक है विक्रम सैंधव, उसकी बढ़ती लोकप्रियता और महत्त्वाकांक्षा से आशंकित होकर कंक और शतमन्यु प्रजातंत्र के नाम पर संसद में उसकी हत्या कर देते हैं। वे समझते हैं कि उन्होंने सदा-सदा के लिए लोकतंत्र को पुनर्स्थापित कर दिया...
क्या ऐसा हो पाता है? क्या सचमुच वे लोकतंत्र की रक्षा कर रहे थे या अपने मन में छिपे ईर्ष्या भाव को एक लुभावना नारा मात्र दे रहे थे? ऐसे अनेक प्रश्न अनुत्तरित हैं। हर पाठक अपनी रुचि के अनुरूप अर्थ निकाल सकता है। एक बेहद महत्त्वपूर्ण कृति।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Isbn 10 | VS357 |
Publication Year | 1998 |
Edition Year | 1998, Ed. 1st |
Pages | 144p |
Price | ₹150.00 |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1 |