Radio Varta Shilp-Paper Back

Author: Siddhnath Kumar
Special Price ₹179.10 Regular Price ₹199.00
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ISBN:9788119092895
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9788119092895
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वैज्ञानिक आविष्कारों ने जिन नए साहित्य-रूपों को जन्म दिया है, उनमें एक ‘रेडियो वार्ता’ भी है। अंग्रेज़ी में इसे ‘रेडियो टॉक’ कहते हैं।

मात्र श्रव्य होने के कारण यह लेख या निबन्ध से भिन्न है और इसका अपना शिल्पगत वैशिष्ट्य भी है। इसी का सूक्ष्म विश्लेषण-विवेचन सुपरिचित नाट्यालोचक एवं रेडियो नाट्य-विशेषज्ञ डॉ. सिद्धनाथ कुमार ने ‘रेडियो वार्ता शिल्प’ में किया है। श्रव्य माध्यम के वैशिष्ट्य में रुचि रखनेवाले लेखकों एवं प्रसारणकर्ताओं द्वारा इस पुस्तक का अवश्य ही स्वागत किया जाएगा।

‘रेडियो वार्ता शिल्प’ अपने विषय की हिन्दी में प्रथम पुस्तक है और इसे पर्याप्त मान्यता मिल चुकी है। यूँ तो यह पुस्तक मूलतः रेडियो वार्ता के लेखन, प्रसारण पर केन्द्रित है, पर लेखक ने ‘प्रभावशाली लेखन’ के व्यावहारिक पक्ष का जो सोदाहरण विवेचन किया है, वह ‘लेखन-कला’ में पारंगत बनाने के लिए पर्याप्त है।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1992
Edition Year 2023, Ed. 4th
Pages 132p
Price ₹199.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Author: Siddhnath Kumar

सिद्धनाथ कुमार

जन्म : 13 अगस्त, 1927; बक्सर (बिहार)।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी, डी.लिट्.।

कुछ कॉलेजों में अध्यापन, आकाशवाणी के पटना केन्द्र में नाटक-लेखक और सहायक प्रोड्यूसर। सन् 1962 से निरन्तर राँची विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में रहे। वहीं से प्रोफ़ेसर पद से अगस्त, 1989 में सेवानिवृत्त।

कृतियाँ : ‘प्रसाद के नाटकों का पुनर्मूल्यांकन’, ‘हिन्दी एकांकी की शिल्पविधि का विकास’, ‘हिन्दी एकांकी’, ‘रेडियो नाट्य-शिल्प’, ‘वार्ता-शिल्प’, ‘रेडियो नाटक की कला’, ‘हिन्दी पद्यनाटक : सिद्धान्त और इतिहास’, ‘संवेदना और शिल्प’; समीक्षा-शृंखला की पाँच पुस्तकों में : ‘आधे-अधूरे’ (मोहन राकेश), ‘अंधेर नगरी’ (भारतेन्दु), ‘भारतदुर्दशा’ (भारतेन्दु), ‘चन्द्रगुप्त’ (प्रसाद) और ‘स्कंदगुप्त’ (प्रसाद) का अध्ययन; ‘टूटा हुआ आदमी’ और ‘जिन्दगी, तुम कहाँ हो?’ (काव्य); ‘कवि, सृष्टि की साँझ और अन्य काव्यनाटक’, ‘रंग और रूप’, ‘वे अभी भी क्वाँरी हैं’, ‘आदमी है नहीं है’, ‘मुर्दे जिएँगे’, ‘रोशनी शेष है’, ’आतंक’, ‘रास्ता बन्द है’ और ‘अशोक’ (नाटक); ‘कमाल कुर्सी का’, ‘चमचे वही रहे’, ‘मिले सुर मेरा-तुम्हारा’, ‘मियाँ-बीवी राज़ी तो’, ‘देशभक्ति की जय’ (व्यंग्य); जीवनचरित और बाल-साहित्य की अनेक पुस्तकें। ‘हिन्दी साहित्य कोश’, ‘हिन्दी साहित्य का बृहत् इतिहास’ आदि अनेक सन्दर्भ ग्रन्थों में टिप्पणियाँ और लेख।

सम्मान : सन् 1954 में वॉयस ऑफ़ अमेरिका की हिन्दी सर्विस द्वारा आयोजित रेडियो रूपक प्रतियोगिता में एक रूपक सर्वश्रेष्ठ रूप में पुरस्कृत। नाट्य कृतियों के लिए ‘राधाकृष्ण पुरस्कार’, ‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ पुरस्कार (राजभाषा विभाग, बिहार); ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’ (सूचना और प्रसारण मंत्रालय) आदि द्वारा सम्मानित।

 

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