Facebook Pixel

Mitti Ki Baraat-Hard Cover

Special Price ₹505.75 Regular Price ₹595.00
15% Off
In stock
SKU
9788171789320
- +
Share:
Codicon

वर्ष 1974 के ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ और ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से सम्मानित ‘मिट्टी की बारात’ हिन्दी के ओजस्वी कवि डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन का सातवाँ कविता–संग्रह है, सूरज के सातवें घोड़े की तरह। इसमें सन् 1961 से 1970 तक की अधिकांश रचनाएँ संगृहीत हैं, जो इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं कि प्रशासन की एकरसता के बावजूद सुमन जी अपने रचनाकार का धर्म पूरी मुस्तैदी से निबाहते रहे हैं।

‘मिट्टी की बारात’ एक काव्य–रूपक है, जिसके आधार पर इस संग्रह का नामकरण किया गया है। यह रूपक जवाहरलाल नेहरू और कमला के फूलों (अन्तिम अवशेषों) के सम्मिलित प्रयाण की गौरवगाथा है। यह इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना ही कही जाएगी कि किसी महापुरुष ने अपनी प्रियतमा के अन्तिम अवशेष इसलिए सुरक्षित रख छोड़े हों कि संसार से अन्तिम यात्रा के समय दोनों की मिट्टी साथ–साथ महाप्रयाण करेगी, साथ–साथ गंगा में प्रवाहित होगी और अविराम जीवन–क्रम में साथ–साथ सिन्धु में लय होगी। हमारे युग की एक ज्वलन्त घटना के आधार पर कवि ने यह रूपक प्रस्तुत किया है, परन्तु प्रतीक के रूप में मानव–संवेदना की इस भूमिका को सार्वकालिक और सार्वभौमिक ही समझना चाहिए।

पूरे संग्रह के लिए ‘मिट्टी की बारात’ शीर्षक एक प्रतीक है—‘ऐसा प्रतीक जो संग्रह की सम्पूर्ण कविताओं का प्रतिनिधित्व करता है—इन कविताओं में जीवन की धड़कन है, मिट्टी की सोंधी गंध है, जो पढ़नेवाले की चेतना को अनायास छू लेती है—ये कविताएँ मिट्टी की महिमा का गीत हैं, जिनमें कवि की प्रतिबद्धता, सांस्कृतिक दृष्टि और प्रगतिशीलता मुखरित हुई है।’

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1972
Edition Year 2024, Ed. 13th
Pages 156p
Price ₹595.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Mitti Ki Baraat-Hard Cover
Your Rating
Shivmangal Singh 'Suman'

Author: Shivmangal Singh 'Suman'

शिवमंगलसिंह ‘सुमन’

जन्म : 5 अगस्त, 1915; उन्नाव, उत्तर प्रदेश।

प्रसिद्ध कवि और शिक्षाविद्।

रीवा, ग्वालियर आदि स्थानों में रहकर आरम्भिक शिक्षा प्राप्त की। एम.ए. और पीएच.डी. करने के बाद बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी में डी.लिट्. से सम्मानित।

श्री सुमन ने 1968-78 के दौरान विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) के कुलपति के रूप में काम किया; उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के उपाध्यक्ष, 1956-61 के दौरान प्रेस और सांस्कृतिक अटैशे, भारतीय दूतावास, काठमांडू (नेपाल) और 1977-78 के दौरान भारतीय विश्वविद्यालय संघ (नई दिल्ली) के अध्यक्ष रहे। साथ ही वह कालिदास अकादमी, उज्जैन के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे।

प्रमुख कृतियाँ : कविता-संग्रह—‘हिल्लोल’ (1939), ‘जीवन के गान’ (1942), ‘युग का मेल’ (1945), ‘प्रलय सृजन’ (1950), ‘विश्वास बढ़ता ही गया’ (1948), ‘विंध्य हिमालय’ (1960), ‘मिट्टी की बारात’ (1972), ‘वाणी की व्यथा’ (1980), ‘कटे अँगूठे की वंदनवारें’ (1991); गद्य—‘महादेवी की काव्य-साधना’; गीति काव्य : ‘उद्यम और विकास’; नाटक—‘प्रकृति पुरुष कालिदास’।

सम्मान : ‘पद्मश्री’, ‘पद्मभूषण’, ‘देव पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘भारत भारती पुरस्कार’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘शिखर सम्मान’ आदि से सम्मानित।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top