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Shivmangal Singh 'Suman'

Shivmangal Singh 'Suman'

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शिवमंगलसिंह ‘सुमन’

जन्म : 5 अगस्त, 1915; उन्नाव, उत्तर प्रदेश।

प्रसिद्ध कवि और शिक्षाविद्।

रीवा, ग्वालियर आदि स्थानों में रहकर आरम्भिक शिक्षा प्राप्त की। एम.ए. और पीएच.डी. करने के बाद बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी में डी.लिट्. से सम्मानित।

श्री सुमन ने 1968-78 के दौरान विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) के कुलपति के रूप में काम किया; उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के उपाध्यक्ष, 1956-61 के दौरान प्रेस और सांस्कृतिक अटैशे, भारतीय दूतावास, काठमांडू (नेपाल) और 1977-78 के दौरान भारतीय विश्वविद्यालय संघ (नई दिल्ली) के अध्यक्ष रहे। साथ ही वह कालिदास अकादमी, उज्जैन के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे।

प्रमुख कृतियाँ : कविता-संग्रह—‘हिल्लोल’ (1939), ‘जीवन के गान’ (1942), ‘युग का मेल’ (1945), ‘प्रलय सृजन’ (1950), ‘विश्वास बढ़ता ही गया’ (1948), ‘विंध्य हिमालय’ (1960), ‘मिट्टी की बारात’ (1972), ‘वाणी की व्यथा’ (1980), ‘कटे अँगूठे की वंदनवारें’ (1991); गद्य—‘महादेवी की काव्य-साधना’; गीति काव्य : ‘उद्यम और विकास’; नाटक—‘प्रकृति पुरुष कालिदास’।

सम्मान : ‘पद्मश्री’, ‘पद्मभूषण’, ‘देव पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘भारत भारती पुरस्कार’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘शिखर सम्मान’ आदि से सम्मानित।

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