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Bhentvarta Aur Press Conference-Hard Cover

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9788171198429
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घटना से अधिक व्यक्ति की महत्ता एक सच्चाई है। बयान की मौलिकता और गुणवत्ता से अधिक महत्ता बयान देनेवाले की होती है। किसी विषय पर साधारण व्यक्ति द्वारा किया गया महत्त्वपूर्ण बयान समाचार नहीं बन सकता, परन्तु उसी विषय पर दिया गया किसी विशिष्ट व्यक्ति का बहुत ही मामूली-सा बयान समाचार हो जाता है।

इन सच्चाइयों के चलते समाचार क्ष्रेत्र में काम करनेवाले सभी लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण और विशिष्ट व्यक्तियों से भेंटवार्ता और उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंसों में शामिल होना उनके कर्तव्य का भी अनिवार्य हिस्सा है। भेंटवार्ता लेना और प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होकर सही सवाल करना ऐसी कलाएँ हैं जो समाचार क्षेत्र के व्यक्ति की एक अलग पहचान बनाती हैं।

इन कठिन कलाओं में महारत हासिल करने के लिए डॉ. नन्दकिशोर त्रिखा की यह पुस्तक नए पत्रकारों को भेंटवार्ता में प्रवीणता प्राप्त करने तथा पुराने पत्रकारों के लिए अपनी कला माँजने में उपयोगी साबित हो चुकी है एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तक।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Publication Year 1992
Edition Year 2015, Ed. 3rd
Pages 112p
Price ₹395.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Author: Nand Kishore Tirkha

नन्दकिशोर त्रिखा

डॉ. नन्दकिशोर त्रिखा ने बी.एससी., एम.ए., जे.डी. (यू.के.), पीएच.डी. की उपाधि हासिल की है। उन्होंने बत्तीस वर्षों से अधिक समय तक पत्रकारिता में सक्रिय रहने के उपरान्त देश के प्रथम पत्रकारिता विश्वविद्यालयमाखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पत्रकारिता संकाय के अध्यक्ष और वरिष्ठ प्राध्यापक रहे। डॉ. त्रिखा छह वर्ष भारतीय प्रेस परिषद् के भी सदस्य रहे।

उन्होंने 1963 से देश के अग्रणी राष्ट्रीय दैनिक ‘नवभारत टाइम्स’ में विशेष संवाददाता, वरिष्ठ सहायक-सम्पादक, राजनयिक प्रतिनिधि और स्थानीय सम्पादक के वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। उससे पूर्व वे संवाद समिति ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के काठमांडू (नेपाल), ओड़िसा और दिल्ली में ब्यूरो प्रमुख और सम्पादक रहे। अपने इस लम्बे पत्रकारिता-जीवन में उन्होंने देश-विदेश की ज्वलन्त समस्याओं पर हज़ारों लेख, टिप्पणियाँ, सम्पादकीय, स्तम्भ और रिपोर्ताज लिखे। पत्रकारिता की कोई विधा नहीं जो उनकी क़लम से अछूती रही हो।

देश के अनेक विश्वविद्यालयों के पत्रकारिता विभागों में अतिथि अध्यापक के रूप में शिक्षण देने का ख़ासा अनुभव रखनेवाले डॉ. त्रिखा ने ‘लन्दन टाइम्स’ के थामसन फ़ाउंडेशन की फ़ेलोशिप पर उच्च पत्रकारिता में डिप्लोमा प्राप्त किया। संविधान एवं संसदीय प्रक्रियाओं के विषय में उनका विशेष अध्ययन रहा। डॉ. त्रिखा ने पत्रकारीय कार्य के सिलसिले में सम्पूर्ण भारत तथा अन्य कई देशों का व्यापक भ्रमण किया है। देश के विभिन्न साहित्यिक व पत्रकारिता पुरस्कारों से भी वे सम्मानित किए गए।

निधन : 15 जनवरी, 2018

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