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Upton Sinclaire

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अप्टन सिंक्लेयर

जन्म : 20 सितम्बर, 1878; बाल्टीमोर (अमेरिका)।

अप्टन सिंक्लेयर उन महान यथार्थवादी लेखकों की सुदीर्घ परम्परा की एक कड़ी थे जिन्होंने विश्व-साहित्य सम्पदा की श्रीवृद्धि करते हुए अपने-अपने युग का इतिहास प्रस्तुत किया।

सिंक्लेयर उन लेखकों में अग्रणी थे जिन्होंने पूँजीवाद के शोषक चरित्र को उसके बर्बरतम रूप में साफ़-साफ़ दिखाया। कारख़ानों में भयानक परिस्थितियों में मज़दूरों के श्रम की निर्मम लूट, पूँजीवादी राजनीति और कारोबार का भ्रष्ट चरित्र, उच्च बुर्जुआ समाज की रुग्ण, पतनशील संस्कृति और फ़ासीवादी आतंक—इन सबको उन्होंने अपने उपन्यासों में उघाड़कर रखा और साथ ही साथ मेहनतकशों और तमाम न्यायप्रिय व्यक्तियों के संघर्ष को भी उन्होंने उपन्यासों का विषय बनाया। 1906 में ‘दि जंगल’ के प्रकाशन ने उन्हें दुनिया-भर में लोकप्रिय बना दिया।

‘दि जंगल’ के बाद ‘दि मैट्रोपोलिस’, ‘किंग कोल’, ‘ऑयल!’, ‘बोस्टन’, ‘जिमी हिगिंस’ जैसे सिंक्लेयर के एक दर्जन से अधिक प्रसिद्ध उपन्यास किसी उद्योग, समुदाय या क्षेत्र के अध्ययन पर आधारित थे जो अमेरिकी समाज के एक या दूसरे कुरूप-विद्रूप या बर्बर-अमानवीय छल-छद्मपूर्ण पहलू पर रोशनी डालते थे या फिर मज़दूरों के किसी संघर्ष की घटना का कलात्मक पुनर्सृजन होते थे।

फासीवाद-विरोधी आन्दोलन के दौर में सिंक्लेयर ने ‘दि फ्लिव्वर किंग’ और ‘नो पैसारोन’ जैसे उत्कृष्ट उपन्यास लिखे। 1940 से 1953 के बीच उन्होंने ‘लैनी बड’ शृंखला के अन्तर्गत ग्यारह समकालीन ऐतिहासिक उपन्यास लिखे जिनका कालखंड 1910 से लेकर द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद फैला हुआ है और घटनाक्रम अनेक देशों में घटित होता है।

निधन : 25 नवम्बर, 1968; एरीजोना (अमेरिका)।

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