Author

Swarajbir

1 Books

स्वराजबीर

कवि और नाटककार स्वराजबीर अपने पहले काव्य-संग्रह ‘आपणी आपणी रात’ (1985) से ही चर्चा के केन्द्र में आ गए थे। इसके बाद उनके दो कविता-संग्रह ‘साहाँथाणी’ (1989) और ‘23 मार्च’ (1993) प्रकाशित हुए। ‘23 मार्च’ की कविताएँ पाश और पाश की कविता के साथ एक संवाद हैं।

1988-89 के दौरान पंजाबी की प्रसिद्ध पत्रिका ‘प्रीत लड़ी’ में ‘तेरी धरती तेरे लोक’ नाम से कॉलम लिखकर एक ओर आपने अपने सुगठित गद्य-लेखन का परिचय दिया, तो दूसरी ओर आतंकवाद के विरुद्ध अपना : दृष्टिकोण दर्ज किया।

‘कृष्ण’ स्वराजबीर का मंचित (1997) होनेवाला पहला नाटक है जिसे रूढ़िवादी संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद ‘धर्मगुरु’ का मंचन किया गया जिसका प्रकाशन ‘कृष्ण’ से पहले (2000) हो चुका था। यह नाटक रूढ़िवादी लोगों के विरोध के बावजूद पंजाब के लोगों द्वारा व्यापक स्तर पर स्वीकार किया गया। ‘मेदनी’ (2002) और ‘शायरी’ (2003) स्वराजबीर के दो और नाटक हैं। इन सभी नाटकों के बारे में डॉ. सुतिंदर सिंह नूर का मानना है कि इन नाटकों का लेखक स्वराजबीर बलवंत गार्गी, आतमजीत और अजमेर औलख से आगे का नाटककार है।

स्वराजबीर 2016 में ‘मासआ दी रात’ के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित किए गए।

Back to Top