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Sitaram Jha Shyam

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सीताराम झा ‘श्याम’

आपने 1963 में बिहार विश्वविद्यालय से हिन्दी भाषा साहित्य में एम.ए. किया तथा स्वर्णपदक प्राप्त किया। पटना विश्वविद्यालय से 1967 में पीएच.डी. एवं 1972 में डी.लिट्. हुए। पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर तथा शोध-निर्देशक रहे।

आपकी प्रमुख कृतियों में ‘जिजीविषा’, ‘वर्तमान की पहचान’, ‘समय से आगे’ (उपन्यास); ‘ज़िन्दगी : नज़दीक से’, ‘नया आकाश’, ‘भागता अँधेरा’ (कहानी); ‘अस्तित्व बोध’, ‘हम भारत के पहरेदार’, ‘गीत अमृत के सुन्दर’ (कविता); ‘मातृभूमि’, ‘विजय-केतु’, ‘सही दिशा’, ‘नई मंज़िल’ (नाटक); ‘स्तरीय निबन्ध’ (निबन्ध); ‘भारत भ्रमण’, ‘भव्य भारत’, ‘विदेश-यात्रा के अनुभव’, ‘वेद विश्लेषण’ (यात्रा-वृत्तान्त); ‘विश्व शान्ति और सांस्कृतिक एकता’ (चिन्तन); ‘भाषा विज्ञान तथा हिन्दी भाषा का वैज्ञानिक विश्लेषण’, ‘राजभाषा हिन्दी : प्रगामी प्रयोग’, ‘तुलसीदास : साहित्य और दायित्व दर्शन’, ‘कामायनी : आवर्त और अभिव्यंजना’, ‘अध्ययन और अन्तर्बोध’ ‘काव्यशास्त्र : चिन्तन और विवेचन’ (आलोचना); ‘भारतीय स्वातंत्र्य-संग्राम और हिन्दी उपन्यास’ (पीएच.डी.); ‘हिन्दी नाटक समाजशास्त्रीय अध्ययन’, (डी.लिट्., शोध-प्रबन्ध); ‘भारतीय समाज का स्वरूप’ (संस्कृति/समाजशास्त्र) आदि शामिल हैं।

आपकी विशेष उपलब्धियाँ हैं—‘श्याम-साहित्य के शिखर ग्रन्थ : संसार को भारत का सारस्वत अवदान’ जो राष्ट्रपति भवन में महामहिम डॉ. शंकरदयाल शर्मा द्वारा लोकार्पित; ‘नाटक और रंगमंच जो राष्ट्रपति भवन में महामहिम ज्ञानी जैलसिंह द्वारा लोकार्पित; ‘भारतीय स्वातंत्र्य-संग्राम की रूपरेखा’ जो नई दिल्ली में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लोकार्पित एवं ‘राष्ट्रीय चाणक्य पुरस्कार’ से सम्मानित।

 

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