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Shivkumar Shrivastava

Shivkumar Shrivastava

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शिवकुमार श्रीवास्तव

सागर विश्वविद्यालय के दर्शन-विभाग में कुछ वर्षों तक अध्यापक। 1 जून, 1977 से फरवरी, 1980 और जून, 1980 से 1985 के सत्र में म.प्र. विधानसभा के सदस्य। लम्बी अवधि तक सागर विश्वविद्यालय कुल-संसद और कार्य-समिति के सदस्य। अनेक श्रम-संगठनों और आन्दोलनों से सम्बद्ध। म.प्र. पंचायती राज वित्त एवं ग्रामीण विकास निगम (म.प्र. शासन का उपक्रम) के अध्यक्ष (1988-1989); अध्यक्ष, पूर्व विधायक मंडल, मध्य प्रदेश तथा म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष। संरक्षक—अखिल भारतीय अंबिकाप्रसाद दिव्य स्मृति पुरस्कार वितरण समिति, सागर। व्यवसाय से अधिवक्ता।

सम्पादन : ‘जागृति’ मासिक 1953 से 1958 तक।

प्रमुख कृतियाँ : उपन्यास—‘कठपुतलियों का दौर’ (1989) तथा ‘ख़लीफ़ों की बस्ती’ (2000); कविता-संग्रह—‘भेरी’ (1945), ‘मृत्युंजय’ (1949), ‘चेतना संकल्प-धर्मा’ (1967), ‘तुम ऋचा हो’ (1980), ‘शहर सहमा हुआ’ (1981), ‘समय काग़ज़ पर’ (1983), ‘अरे यार सूरज’ (1993); खंड-काव्य—‘ताजमहल’ (1950); लम्बी कविता—‘नई ख़बर’ (1951); गीत-संग्रह—‘अल्पना रचाना’ (1989); निबन्ध-संग्रह—‘संवादहीनता के विरोध में रचनाधर्मिता’ (1999)।

बाल-साहित्‍य : ‘ज़मीन की कथाएँ’ (1989); कथा-काव्य—‘कृष्ण क्यों जीते?’ ‘राक्षस क्यों हारा?’ (1993)।

डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) में कुलपति रहे।

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