Samresh Basu
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समरेश बसु
समरेश बसु ने लगभग दो सौ लघु कथाएं और 100 उपन्यास लिखे हैं। उनका जीवन विभिन्न प्रकार के अनुभवों से भरा हुआ है। और अपने इन्हीं अनुभवों को चाहे वे राजनैतिक हों, श्रमिक के जीवन के हों या सैक्स सबंधी, अपने लेखन के द्वारा कागज़ पर उकेरा है। इसी कारण से कुछ समय के लिए उनके दो उपन्यासों पर पाबंदी भी लगाई गई थी। उन्होंने अपना पहला उपन्यास केवल 21 वर्ष की आयु में लिखा था।
उनके द्वारा बंगाल की ग्रामीण परिवेश पर जीवन की वास्तविकताओं को आईना दिखलाते हुए लिखे गये उपन्यास साहित्य जगत में अपना एक विशिष्ट स्थान रखते हैं।
वीरेन्द्रनाथ मण्डल ने उपन्यास के अनुवाद में कहानी के मौलिक मर्म को व उपन्यासकार की विचारधारा को अति उत्तम रूप से पाठकों के सामने रखा है। अनुवाद होते हुए भी यह अपनी मौलिकता नहीं खोती है।