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Ramsagar Prasad Singh
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रामसागर प्रसाद सिंह
रामसागर प्रसाद सिंह का जन्म अक्टूबर, 1938 में बिहार के ज़िला बेगूसराय, पहसारा ग्राम के एक किसान परिवार में हुआ। इनकी आरम्भिक शिक्षा बेगूसराय के स्थानीय विद्यालय में हुई।
भागलपुर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर में गोल्डमेडलिस्ट रहे रामसागर प्रसाद सिंह ने अध्यापन का आरम्भ कार्यानन्द शर्मा कॉलेज, लखीसराय से किया। 1968 से 1984 तक विक्रमशिला महाविद्यालय, कहलगाँव (बिहार) के हिन्दी विभाग में अध्यापक रहे। तत्पश्चात् टी.एन.बी. कॉलेज, भागलपुर विश्वविद्यालय से सन् 2000 में प्रोफ़ेसर-पद से सेवानिवृत्त हुए।
अपनी विशिष्ट शिक्षण-शैली एवं कथात्मक व्याख्यान कला के लिए जाने जानेवाले रामसागर प्रसाद सिंह की रुचि एवं ज्ञान का क्षेत्र भारतीय मिथक, मध्यकालीन साहित्य एवं लोक-संस्कृति है।
इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं : 'भस्मांकुर : एक समीक्षा', 'गीतिनाट्य की परम्परा में राजा परीक्षित का अध्ययन', 'निबन्ध-प्रकाश', 'व्याकरण प्रकाश', 'भाषा प्रकाश', 'नहिं दरिद्र सम दु:ख जग माहीं', 'मटमैली संस्कृति के सात रंग।' इसके अतिरिक्त साहित्यिक-सांस्कृतिक विषयों पर पत्र-पत्रिकाओं में लेखन एवं स्थानीय आकाशवाणी केन्द्र में व्याख्यान।