Prem Suman Jain
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प्रेम सुमन जैन
जन्म : 1 अगस्त, 1942; सिहुंड़ी, जबलपुर, मध्य प्रदेश।
शिक्षा : कटनी, वाराणसी, वैशाली एवं बोधगया में संस्कृत, पालि, प्राकृत, जैन धर्म तथा भारतीय संस्कृति का विशेष अध्ययन। ‘कुवलयमालाकहा का सांस्कृतिक अध्ययन’ विषय पर पीएच.डी.।
सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग के प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष तथा अधिष्ठाता आदि पदों से सेवानिवृत्त।
लेखन-सम्पादन : 50 से ज़्यादा पुस्तकों का लेखन-सम्पादन एवं अनेक शोधपत्र प्रकाशित। प्राकृत-अध्ययन प्रसार संस्थान, उदयपुर के मानद निदेशक एवं त्रैमासिक शोध-पत्रिका ‘प्राकृतविद्या’ के संस्थापक व सम्पादक। प्राकृत-अपभ्रंश की पांडुलिपियों के सम्पादन-कार्य में प्रमुख योगदान।
विशेष : देश-विदेश के विभिन्न सम्मेलनों में शोधपत्र-वाचन। 1984 में अमेरिका एवं 1990 में यूरोप-यात्रा के दौरान विश्वधर्म सम्मेलनों में जैन-दर्शन का प्रतिनिधित्व एवं जैनविद्या पर विभिन्न व्याख्यान। अ.भा. प्राच्य विद्या सम्मेलन के चेन्नई अधिवेशन में प्राकृत एवं जैनधर्म खंड के अध्यक्ष। यू.जी.सी. द्वारा सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में स्थापित बौध अध्ययन एवं अहिंसा केन्द्र के मानद निदेशक के उपरान्त एमेरिटस प्रोफ़ेसर फ़ेलो के रूप में कार्य।
सम्मान : ‘चम्पालाल सांड साहित्य पुरस्कार’, ‘प्राकृत ज्ञानभारती अवार्ड’, ‘आचार्य हस्ती स्मृति सम्मान’ आदि से सम्मानित।