Pratibha Arya
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प्रतिभा आर्य
जन्म : 1938 में अविभाजित भारत के लाहौर शहर में, परन्तु बचपन रुड़की, ज़िला हरिद्वार, उत्तरांचल में बीता। आरम्भिक शिक्षा रुड़की और उच्च शिक्षा लखनऊ में सम्पन्न हुई। मातृभाषा पंजाबी है, परन्तु हिन्दी, अंग्रेज़ी के अतिरिक्त उर्दू, संस्कृत व बांग्ला भाषा का भी पर्याप्त ज्ञान है।
1968 से 1983 तक दिल्ली की सर्वोत्तम व्यक्तिगत गृह वाटिका का पुरस्कार लगातार प्राप्त किया। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पुष्प प्रदर्शनियों में अनेक ट्राफ़ियों के साथ सर्वोच्च चैलेंज कप कई वर्षों तक लगातार जीतकर इस क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया। पिछले दो दशक से भी अधिक समय से ‘वामा’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘संडे आब्जर्वर’, ‘कादम्बिनी’, ‘गृहशोभा’, ‘फलफूल’, ‘खेती’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में पर्यावरण, बाग़वानी एवं वृक्ष व पौधों पर लेखन। अब तक ढाई सौ से अधिक लेख छप चुके हैं। भारतीय मूल के वृक्षों पर साहित्यिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से सुन्दर अनुसन्धानात्मक लेख लिखे। मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में पिछले अखिल भारतीय सेवाओं के प्रशिक्षणार्थियों के लिए बागवानी पर कार्यशालाएँ प्रस्तुत कीं। गुलाब, गुलदाउदी, डहलिया, कैक्टस व बोगनवेलिया की राष्ट्रीय संस्थाओं की आजीवन सदस्या और विभिन्न प्रसिद्ध पुष्प प्रदर्शनियों के निर्णायक मंडल में शामिल हैं।
प्रमुख कृतियाँ : ‘पेड़ों की कहानी’, पेड़ों की ज़ुबानी’ (सचित्र बालोपयोगी), ‘कुटकुट का कमाल’, ‘घोंसले की तलाश’ (बालोपयोगी कथा-पुस्तकें) एवं ‘महागाथा वृक्षों की’, ‘गृह वाटिका’ आदि।