Mirza Shauq Lakhnawi
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मिर्ज़ा शौक़ लखनवी
नाम : मिर्जा तसद्दुक हुसैन। लखनऊ शहर में नवाब मिर्ज़ा के नाम से जाने जाते थे।
जन्म : सन् 1783; लखनऊ।
शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। फिर अपने समय के मशहूर उस्तादों से शिक्षा पाई।
पूरा ख़ानदान हकीमों का था, 'शौक़' ने भी वही पेशा इख़्तियार किया। कुछ समय तक नवाब वाजिद शाह के हकीम रहे मगर अपना दवाख़ाना भी चलाते थे। शायरी का शौक़ बचपन से था। इस मैदान में उन्होंने अपने दौर के मशहूर शायर ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश' की शागिर्दी इख़्तियार की। कुछ बयानों के अनुसार ख़्वाजा 'आतिश' से कुछ मतभेद के बाद 'शौक़' उनसे अलग हो गए, मगर इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
प्रकाशन : 'शौक़' को शोहरत उनकी ग़ज़लों या उनके वासोख़्त ने नहीं, उनकी तीन मस्नवियों ने दिलाई। ये प्रकाशित तो उनके जीवन में हुई थीं मगर उनकी मृत्यु के बाद भी इनकी लोकप्रियता बराबर बढ़ती गई।
निधन : लखनऊ में ही 30 जून, 1871 को। चारबाग़ रेलवे स्टेशन के पास उसी क़ब्रिस्तान में दफ़्न किए गए जहाँ मीर तक़ी मीर, मीर हसन, इंशा, मसहफ़ी, नासिख़ और आतिश जैसे चोटी के शायर आराम फ़रमा रहे हैं।