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Maya Govind

Maya Govind

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माया गोविन्द

जन्म : 17 जनवरी; लखनऊ (उ.प्र.)।

शिक्षा : लखनऊ विश्वविद्यालय से बी.ए., बी.एड.। चार वर्षों तक अध्यापन कार्य। संगीत एवं साहित्य में बचपन से ही रुचि, नृत्य-गायन की विधिवत् तालीम ली।

बचपन से ही कविता-लेखन। काव्य-पाठ सन् 1959 में दिल्ली के लाल क़िला कवि सम्मेलन से प्रारम्भ हुआ। तत्पश्चात् देश-विदेश के सैकड़ों कवि-सम्मेलनों एवं गोष्ठियों में भाग लिया। हिन्दी, उर्दू, ब्रज एवं अवधी में काव्य-रचना। माया गोविन्द की रचनाओं में रीतिकालीन शृंगार तथा पारलौकिकता विद्यमान है।

प्रमुख कृतियाँ : ‘सुरभि के संकेत’, ‘दर्द का अनुवाद’ (गीत-संग्रह); ‘तुम्हें मेरी क़सम’ (ग़ज़ल, नज़्म); ‘कृष्णमयी’ (ब्रजभाषा पद); ‘चाँदनी की आग’ (मुक्तछन्द); ‘सुनो हे पार्थ’ (भगवत गीता की काव्यमय प्रस्तुति); ‘छन्दरस माधुरी’ (ब्रजभाषा और अवधी के छन्दों का संग्रह); ‘सुमिरन कर ले मेरे मना’ (भजन-संग्रह)।

विशेष : हेमा मालिनी द्वारा प्रस्तुत बैले ‘मीरा’ का लेखन, जिसकी प्रस्‍तुति स्वर्ण जयन्ती मंचों पर हो चुकी। सन् 1972 से मुम्बई में फ़िल्मों के लिए गीत-लेखन। अनेक टीवी धारावाहिकों में गीत-लेखन। भजन, गीत एवं ग़ज़लों के दर्जनों एलबम जारी।

सम्मान : दो बार ‘फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन अवार्ड’ (उ.प्र.), ‘सर्वश्रेष्ठ गीतकार’ (फ़िल्म वर्ल्ड), ‘स्वामी हरिदास पुरस्कार’ (सुरसिंगार संसद), ‘दशक की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री पुरस्कार’ (हिन्दी समिति वाशिंगटन), ‘हिन्दी काव्य सम्मान’ (विश्व हिन्दी समिति, न्यूयॉर्क), ‘उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान’ (उत्तर भारतीय संघ), ‘आशीर्वाद पुरस्कार’, ‘इंडियन टेलीविज़न एकेडमी अवार्ड’ (टीवी सीरियल ‘मायका’ और ‘फुलवा’ के लिए), ‘महादेवी वर्मा सम्मान लखनऊ’, ‘निराला पुरस्कार’ (साहित्य कला मंच, मुम्बई) आदि।

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