Lev Landau & yuri Rumer
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लेव लांदाऊ
लेव लांदाऊ का जन्म 22 जनवरी, 1908 को कैस्पियन समुद्रतट के नगर बाकू (अजरबैजान) की राजधानी में एक मध्यवर्गीय यहूदी परिवार में हुआ था। पिता पेट्रोलियम इंजीनियर थे और माँ चिकित्सक। लांदाऊ बचपन से ही कुशाग्रबुद्धि के थे। गणित में उनकी गहरी दिलचस्पी थी। चौदह साल की आयु में बाकू विश्वविद्यालय के गणित तथा भौतिकी विभाग में प्रवेश लिया। दो साल बाद लांदाऊ लेनिनग्राद विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में दाख़िल हुए और 1927 में उन्नीस साल की उम्र में स्नातक बने। वे अभी विश्वविद्यालय में विद्यार्थी ही थे, जब उनका पहला स्वतंत्र शोध-निबन्ध प्रकाशित हुआ।
दो साल बाद 1929 में लांदाऊ को विदेश जाने का मौक़ा मिला। उन्होंने डेनमार्क, इंग्लैंड, जर्मनी, और स्विट्जरजैंड में डेढ़ साल रहकर शोध-कार्य किया। कोपेनहेगन के सैद्धान्तिक भौतिकीय संस्थान में नील्स बोर (1885-1972 ई.) के साथ गुज़ारे दिन उनके लिए बड़े लाभप्रद सिद्ध हुए। लांदाऊ अपने को हमेशा नील्स बोर का शिष्य मानते रहे।
विदेश से लौटने के बाद लांदाऊ ज़्यादा दिनों तक लेनिनग्राद में नहीं रहे। वे खारकोव के ‘उक्राइन भौतिकीय तकनीकी संस्थान’ चले गए। वहाँ पाँच साल रहकर उन्होंने भौतिकी के अध्ययन-अन्वेषण के लिए एक ‘न्यूनतम पाठ्यक्रम’ तैयार किया और भौतिकी के क्षेत्र में शोध-कार्य करने के लिए कई विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया।
सन् 1937 में लांदाऊ मास्को में नए स्थापित ‘भौतिकीय समस्या संस्थान’ चले आए और वहाँ सैद्धान्तिक विभाग के प्रमुख नियुक्त हुए। मास्को आने के बाद लांदाऊ ने सैद्धान्तिक भौतिकी के कई क्षेत्रों में मौलिक अनुसन्धान-कार्य किया, जिनमें प्रमुख है—क्वांटम द्रवों का सिद्धान्त। द्रव हीलियम की अतितरलता के साथ लांदाऊ का नाम अभिन्न रूप से जुड़ गया है।
लांदाऊ को सन् 1962 में भौतिकी का ‘नोबेल पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
सन् 1968 में 60 साल की आयु में निधन हुआ।
About Author : यूरी रूमेर
1901 में जन्मे यूरी रूमेर भौतिकी के प्राध्यापक थे। वे खारकोव के ‘उक्राइन भौतिकीय तकनीकी संस्थान’ में लांदाऊ के सहकर्मी और उन्हीं के साथ रहते थे। दोनों ने मिलकर इलेक्ट्रॉन-फ़ोटॉन सोपानी बौछार के सृजन के लिए एक गणितीय सिद्धान्त प्रस्तुत किया था।
सन् 1938 के दमन के दिनों में, लेव लांदाऊ की तरह, यूरी रूमेर को भी गिरफ़्तार करके साइबेरिया में निर्वासित कर दिया गया था। उन दिनों लांदाऊ रूमेर को नियमित रूप से पैसा भेजते थे। उन दिनों की परिस्थितियों में ऐसा करना एक बहुत बड़े साहस का काम था। मुक्ति मिलने और पुन: बहाली होने पर यूरी रूमेर ने पहले येनिसेइस्क के शैक्षणिक संस्थान में, फिर नोवासिबिर्स्क में और अन्त में सोवियत विज्ञान अकादमी की साइबेरियाई शाखा के नाभिकीय भौतिकी संस्थान में कार्य किया।
सन् 1985 में यूरी रूमेर का निधन हुआ।