Laxman Gaiakwad
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लक्ष्मण गायकवाड़
23 जुलाई, 1952 को धनेगाँव, लातूर, महाराष्ट्र में जन्म।
‘उचल्या’ पुस्तक का अनुवाद हिन्दी, अंग्रेज़ी, कन्नड़, तेलुगू, उर्दू, फ़्रेंच, बांग्ला भाषाओं में। इनकी ‘वडार वेदना’ कृति भी काफ़ी चर्चित है। ये केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के भूतपूर्व जूनियर मेम्बर, सोसायटी फ़ॉर कम्यूनल हार्मनी, दिल्ली के भूतपूर्व जूनियर मेम्बर और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य रह चुके हैं।
श्री गायकवाड़ ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘समता पुरस्कार’, ‘संजीवनी पुरस्कार’, ‘महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार’, ‘सार्क’ राष्ट्रों द्वारा दिए जानेवाले ‘अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार’ से सम्मानित किए जा चुके हैं।
शोषित, पीड़ित समुदायों में सामाजिक परिवर्तन लानेवाले और विमुक्त, घुमन्तू जमातों के लोगों को न्याय तथा उनके अधिकार दिलाने के लिए ये 1978 से कार्यरत हैं। ये महाराष्ट्र में ‘विमुक्त भटके (घुमन्तू) संघर्ष महासंघ’ के व्यवस्थापकीय अध्यक्ष भी हैं। कामगार, खेत मज़दूर, होटल बॉयज, स्त्री-मुक्ति आदि आन्दोलनों में इनकी सक्रिय सहभागी रही है। 1984 में निकली विमुक्त घुमन्तू लोगों की शोधयात्रा के संयोजक भी रहे हैं।