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Jay Singh Neerad

Jay Singh Neerad

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जयसिंह नीरद

जयसिंह ‘नीरद’ का जन्म 2 जनवरी, 1954 को बुन्देलखंड के जिला जालौन के उमरी गाँव में हुआ। स्नातकोत्तर स्तर तक की शिक्षा दिल्ली में हुई। मेरठ विश्वविद्यालय (अब चरणसिंह विश्वविद्यालय) से ‘दिनकर काव्य में परम्परा और आधुनिकता’ विषय पर पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। चालीस वर्षों तक प्रवक्ता, रीडर और आचार्य पदों पर रहे। प्राग के चार्ल्स विश्वविद्यालय में भी अध्यापन किया। कन्हैयालाल मुंशी हिन्दी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—नरक के सींग (उपन्यास); मैं तुम्हारा आईना, ढलान पर चढ़ता सूरज, आग : एक सम्भावना, गीली मिट्टी का एक लौंदा, कहना जग को रास न आया, पसरी हुई हथेलियों का शहर (कविता-संग्रह); आधुनिकता के हाशिये में उर्वशी, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, जहाँ मैं खड़ा हूँ, दिनकर के काव्य में परम्परा और आधुनिकता, दिनकर : व्यक्ति और सृजन, सूर-काव्य के विविध आयाम, परम्परा, आधुनिकता और दिनकर, हिन्दी नवजागरण : कुछ जाने-अनजाने सन्दर्भ, हिन्दी नवजागरण का आर्थिक चिन्तन (आलोचना); आँखिन देखी कागद लेखी (विविध)।

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