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Fanish Singh

Fanish Singh

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फणीश सिंह

जन्म : 15 अगस्त, 1941 को ग्राम—नरेन्द्रपुर, ज़िला—सिवान (बिहार) में एक ज़मींदार परिवार में।

15 वर्ष की आयु में हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से ‘विशारद’ की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात् एम.ए. तथा बी.एल. करने के बाद पटना उच्च न्यायालय में अगस्त, 1967 में वकालत आरम्भ की। छात्र जीवन से ही हिन्दी साहित्य से अनुराग और अनेक लेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। 1969 से हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना की स्थायी समिति के सदस्य।

भारतीय प्रतिनिधि के रूप में 1983 में मास्को और 1986 में कोपनहेगेन विश्व-शान्ति सम्मेलन में शामिल हुए। सोवियत संघ की पाँच बार यात्रा की। विश्व-शान्ति परिषद् के विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिए डेनमार्क, स्वीडन, इस्टोनिया, पोलैंड, जर्मनी, चेकोस्लोवाकिया, फ़्रांस, इटली, ऑस्ट्रिया, इंग्लैंड, अमरीका और पुनः जर्मनी की यात्रा की। सन् 2006 में अखिल भारतीय शान्ति एवं एकजुटता संगठन के प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में चीन की यात्रा की। आपने हाल ही में टर्की, ग्रीस, स्पेन, हंगरी, हॉलैंड, बेल्जियम, स्कॉटलैंड एवं पुनः इंग्लैंड की यात्रा की। पिछले तीन वर्षों से दक्षिणपूर्व एशिया पर भारतीय संस्कृति के प्रभाव पर गहन अध्ययनरत हैं। इस सिलसिले में म्यांमार, थाइलैंड, लाओस, वियतनाम, कम्बोडिया, इंडोनेशिया (बाली), मलेशिया, सिंगापुर, मालद्वीप एवं श्रीलंका की यात्रा कर चुके हैं।

आपने हिन्दी साहित्य के इतिहास और विभिन्न विदेशी भाषाओं की कहानियों का विशेष अध्ययन किया। गोर्की और प्रेमचन्द के कृतित्व और जीवन–दृष्टिकोणों की सादृश्यता से दोनों पर शोध कार्य की प्रेरणा ली और इस विषय में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पहली पुस्तक ‘प्रेमचन्द एवं गोर्की का कथा–साहित्य : एक अध्ययन’ दिसम्बर, 2000 में प्रकाशित हुई ।

भारतीय सांस्कृतिक सम्बद्ध परिषद के सलाहकार समिति के सदस्य। आईपीएसओ के बिहार राज्य परिषद के महासचिव। राज्य की अनेक सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी। ‘कौमी एकता सन्देश’ के सम्पादक।

श्री फणीश सिंह की अब तक दर्जनों पुस्तकें हिन्दी साहित्य के विभिन्न विषयों एवं स्वाधीनता आन्दोलन पर प्रकाशित हो चुकी हैं।

निधन : 23 सितम्‍बर, 2020

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