Chandrakiran Sonrexa
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चन्द्रकिरण सौनरेक्सा
चन्द्रकिरण सौनरेक्सा का जन्म 19 अक्टूबर, 1920 को पेशावर, पाकिस्तान के नौशोरा में हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा मेरठ में हुई। स्वाध्याय से उन्होंने 1935 में प्रभाकर और 1936 में साहित्य रत्न की परीक्षाएँ पास कीं। घर में रहकर ही अंग्रेज़ी, उर्दू, बांग्ला, गुजराती, गुरुमुखी आदि भाषाएँ भी सीखीं। छोटी उम्र से ही उन्होंने कविताएँ, गीत और कहानियाँ लिखनी शुरू कर दी थीं। साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग, नीहारिका, सारिका, कहानी, चाँद, हंस आदि पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ लगातार छपती रहीं। उन्होंने लखनऊ आकाशवाणी में पटकथा लेखक-सह-सम्पादक के पद पर कार्य किया। वहाँ से सेवानिवृत्त होने के बाद पायनियर समाचार-पत्र के सह-प्रकाशन सुमन की सम्पादक रहीं।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—चन्दन चाँदनी, वंचिता, कहीं से कहीं नहीं, और दीया जलता रहा (उपन्यास); आदमखोर, जवान मिट्टी, ए क्लास का कैदी, दूसरा बच्चा, सौदामिनी, वे भेड़िए, हिरनी, उधार का सुख, विशिष्ट कहानियाँ (कहानी-संग्रह); शीशे का महल, दमयंती, पशु-पक्षी सम्मेलन (बाल-साहित्य); पीढ़ियों के पुल (नुक्कड़-नाटक); पिंजरे की मैना (आत्मकथा)।
उन्हें ‘सेकसरिया पुरस्कार’, ‘सारस्वत सम्मान’, ‘सुभद्रा कुमारी चौहान स्वर्ण पदक’ तथा हिन्दी अकादमी, दिल्ली के ‘20वीं सदी की सर्वश्रेष्ठ महिला कथाकार सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
18 मई, 2009 को उनका देहावसान हुआ।