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Bheemsen Nirmal
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भीमसेन निर्मल
डॉ. निर्मल का हिन्दी-तेलुगू और तेलुगू-हिन्दी साहित्य के अनुवाद में अतुलनीय योगदान है। वे हिन्दी तथा तेलुगू दोनों भाषाओं के विद्वान् होने के नाते रचना की कला में भी विशेष कुशलता के लिए जाने जाते हैं। उनके द्वारा अनूदित प्रमुख कृतियाँ हैं—‘विश्वंभरा’, ‘प्रपंचपदी’, ‘शब्द इस शताब्दी का’, ‘दशरथी शतकम्’ (पद्य); ‘कन्याशुल्कम्’, ‘दीक्षितुलु’, ‘चिल्लर देवुल्लु’, ‘जतरा’, ‘मानव में मानव’, ‘निखरे हीरे’ (गद्य) आदि। अनुवाद के अलावा मौलिक लेखन की उनकी एक दर्जन से ज़्यादा पुस्तकें प्रकाशित हैं। उन्होंने दूरदर्शन के लिए भी लेखन किया और हिन्दी प्रतिष्ठान, हैदराबाद की पत्रिका (त्रैमासिक) ‘अग्रतारा’ का वर्षों सम्पादन किया।
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