Bhartendu Harishchandra
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भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
हिन्दी साहित्य के जन्मदाता और भारतीय नवोत्थान के प्रतीक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म 1850 ई. में हुआ।
शिक्षा क्वींस कॉलेज बनारस से हुई। बाद में स्वाध्याय से हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेज़ी के अतिरिक्त मराठी, बांग्ला, गुजराती, मारवाड़ी, पंजाबी, उर्दू इत्यादि भारतीय भाषाओँ का ज्ञान अपनी प्रतिभा के बल पर अर्जित किया।
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने देश और हिन्दी भाषा तथा साहित्य की जो सेवा की, वह चिरस्मरणीय रहेगी। उनकी नाटकीय रचनाएँ तीन भागों में विभक्त की जा सकती हैं—अनूदित, मौलिक तथा अपूर्ण जो सामाजिक, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक, राष्ट्रीय एवं राजनीतिक विषयों पर आधारित हैं।
सन् 1880 ई. में पं. रघुनाथ, पं. सुधाकर द्विवेदी, पं. रामेश्वरदत्त व्यास आदि के प्रस्तावनानुसार उन्हें भारतेन्दु की पदवी से विभूषित किया गया।
6 जनवरी, 1885 ई. को चौंतीस वर्ष की अल्पायु में देहान्त हो गया।