Facebook Pixel
Author
Badiuzzaman

Badiuzzaman

3 Books

सय्यद मोहम्मद ख़्वाजा बदीउज़्ज़माँ

सय्यद मोहम्मद ख़्वाजा बदीउज़्ज़माँ का जन्म 30 सितम्बर, 1928 को बिहार के गया शहर में हुआ। प्रगतिशील लेखक आन्दोलन से जुड़कर उन्होंने उर्दू और फिर हिन्दी साहित्य में क़दम रखा। कम उम्र में पिता का साया सर से उठ गया और ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए वक़्त से पहले नौकरी का सिलसिला शुरू हुआ। उन्होंने हिन्दी और उर्दू में एम.ए. किया और ओडिशा के भद्रक कॉलेज में उर्दू के प्राध्यापक रहे। फिर 1956 में दिल्ली आए और भारत सरकार के राजभाषा विभाग से जुड़ गए। विभाजन की पृष्ठभूमि पर लिखा गया उनका उपन्यास ‘छाको की वापसी’ और प्रतीकात्मक शैली में लिखा गया उपन्यास ‘एक चूहे की मौत’ हिन्दी साहित्य की कालजयी कृतियाँ हैं। ‘अपुरुष’ और ‘छठा तंत्र’ उनके अन्य उल्लेखनीय उपन्यास हैं। एक विशाल कैनवस पर लिखा गया उपन्यास ‘सभापर्व’ उनके गुज़र जाने के बाद सामने आया। ‘अनित्य’, ‘पुल टूटते हुए’ और ‘चौथा ब्राह्मण’ उनके कहानी-संग्रह हैं। बदीउज़्ज़माँ उर्दू, हिन्दी, अंग्रेज़ी और ओड़िया भाषाओं के विद्वान थे और इन भाषाओं के श्रेष्ठ अनुवादक। उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण अनुवाद भी किए हैं। वे उस पीढ़ी के नुमाइन्दे थे जिसने मुल्क, ख़ानदान और रिश्तों को टूटते देखा। उन्होंने अपनी क़लम के माध्यम से इस दुख को ज़ुबान दी। पूरा वक़्त साहित्य को दे सकें इसकी फ़ुर्सत ज़िन्दगी ने नहीं दी। उन्होंने 16 मई, 1986 को इस दुनिया को अलविदा कहा। वे अक्सर जिगर मुरादाबादी का यह शे'र गुनगुनाया करते थे—

जान कर मिन-जुमला--ख़सान--मय-ख़ाना मुझे

मुद्दतों रोया करेंगे जाम ओ पैमाना मुझे।

Back to Top