Amar Kumar Singh
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अमर कुमार सिंह
झारखंड आन्दोलन के सैद्धान्तिक भाष्यकारों में से एक। प्रो. सिंह ने मनोविज्ञान के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई, लेकिन वे जाने-माने समाजशास्त्री भी थे।
वे लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स और हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय से पढ़े-लिखे। पर अपनी जड़ों से जुड़े रहे। झारखंड आन्दोलन के बारे में उन्होंने हिन्दी में लिखना शुरू किया, ताकि साधारण लोग इसके सैद्धान्तिक पक्ष को जानें। उन्होंने झारखंड आन्दोलन को बौद्धिक धार ही प्रदान नहीं की, वे एक कार्यकर्ता की तरह आन्दोलन में सक्रिय भी रहे। वे अपने व्यवहार, स्वभाव और संवेदनशीलता के कारण झारखंडी समाज के इतर भी समान रूप से सम्मानित थे। झारखंड को लेकर केन्द्र सरकार से हुई शीर्ष वार्ताओं में वे रहे, आन्दोलनकारियों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका में रहे। आज जो झारखंड अपने साकार रूप में है, इसमें उनका एक बहुत बड़ा योगदान है।
प्रो. सिंह झारखंड से जुड़े मूल सवालों के महज़ दार्शनिक या सैद्धान्तिक व्याख्याकार ही नहीं थे, बल्कि राँची विश्वविद्यालय के कुलपति और सिद्धू-कान्हू विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति के रूप में उन्होंने अपनी प्रशासकीय व सांगठनिक क्षमता का भी परिचय दिया।
सन् 1999 में असामयिक निधन।