Akhtar Sheerani
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‘अख़्तर’ शीरानी
नाम : दाउद ख़ान शीरानी, तख़ल्लुस अख़्तर।
जन्म : 1905 में राजस्थान की भूतपूर्व रियासत टोंक के एक बहुत समृद्ध परिवार में। पिता हाफ़िज़ महमूद ख़ान शीरानी देश-विभाजन से पहले ही लाहौर आकर बस गए थे, मगर टोंक से परिवार का सम्बन्ध बहुत दिनों बाद तक बना रहा।
जीवनवृत्ति : लड़कपन से ही शिक्षा की तरफ़ से मन उचट चुका था, इसलिए ‘अख़्तर’ उच्च शिक्षा से वंचित ही रहे? वैसे अंग्रेज़ी साहित्य पर कुछ हद तक उनकी निगाह ज़रूर रही। आगे चलकर नशे में डूबे रहना और देश के कोने-कोने में भटकना ही उनका मशग़ला रह गया। ‘रोमान नाम से एक पत्रिका भी जारी की, मगर उनकी अपनी प्रकृति के कारण यह पत्रिका भी बहुत दिनों तक चल नहीं सकी; लेकिन अहमद ‘नदीम’ कासमी और कुछ दूसरे साहित्यकारों से उर्दू जगत को इसी पत्रिका ने परिचित कराया। देश-विभाजन से कुछ पहले अफ़वाह उड़ी कि टोंक से लाहौर आते हुए ‘अख़्तर’ साहब रास्ते में ही कहीं क़त्ल कर दिए गए। जब वे इधर-उधर के रास्तों से होकर लाहौर पहुँचे तो लोगों ने चैन की साँस ली।
निधन : 9 सितम्बर, 1948 को लाहौर के मेयो हस्पताल में, बहुत ही दर्दनाक हालत में।