Taliban, Afghan Aur Mein-Hard Cover

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ISBN:9788126706334
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अफ़ग़ानिस्तान का तालिबान शासन अब विश्व में रूढ़िवाद, कट्टरता और कठमुल्लावादी तानाशाही का पर्याय बन चुका है, ‘तालिबानी’ और ‘तालिबानीकरण’ जैसे शब्द इधर राजनीतिक विमर्श में आम हो गए हैं।

यह पुस्तक इसी तालिबान शासन से लेखिका की अपनी मुठभेड़ का लोमहर्षक विवरण है। लेखिका ने एक अफ़ग़ान-युवक से प्रेम-विवाह के बाद कई वर्ष अफ़ग़ानिस्तान में बिताए हैं। अफ़ग़ानिस्तान प्रवास के अपने काले दिनों का त्रास उन्होंने इसकी पंक्ति-पंक्ति में पिरोया है। साथ ही विकास की धारा से विच्छिन्न उस भूमि तथा वहाँ के निवासियों के विषय में कई दिलचस्प तथा चौंकानेवाली जानकारियाँ भी पाठक को इस पुस्तक में प्राप्त होंगी।

सुष्मिता बंद्योपाध्याय की इस पुस्तक से पहले ‘काबुलीवाले की बंगाली बीवी’ की पृष्ठभूमि से परिचित पाठक इस आत्मकथात्मक उपन्यास को एक निरन्तरता के साथ पढ़ सकेंगे। इसमें उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के अनुभवों के साथ-साथ अपनी मातृभूमि सम्बन्धी कुछ स्मृतियों तथा स्त्री-विमर्श के कुछ सार्वभौमिक सवालों को भी रेखांकित किया है।

More Information
Language English
Format Hard Back, Paper Back
Isbn 10 TAAM328
Publication Year 2003
Edition Year 2004, Ed. 2nd
Pages 119p
Price ₹150.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Sushmita Bandyopadhyay

Author: Sushmita Bandyopadhyay

सुष्मिता बंद्योपाध्याय

जन्म : खुलना ज़िले के एक सम्पन्न ब्राह्मण परिवार में, 1956 में।

शिक्षा : सेंट जोसेफ़ कॉन्वेंट में।

‘काबुलीवाले की बंगाली बीवी’ (उपन्यास) का हिन्दी में भरपूर स्वागत हुआ। ‘एक अक्षर भी झूठा नहीं’ और ‘तालिबान अफ़ग़ान और मैं’ भी बहुचर्चित कृति।

निधन : 4 सितम्‍बर, 2013

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