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Shyam Sunder Das

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श्यामसुन्दर दास

श्यामसुन्दर दास का ‍जन्म 14 जुलाई, 1875 को काशी में हुआ था। उन्होंने 1897 ई. में बी.ए. किया। 1899 ई. में कुछ समय तक हिन्दू स्कूल में अध्यापक थे। उसके बाद लखनऊ के कालीचरन स्कूल में लम्बे समय तक हेडमास्टर रहे। सन् 1921 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त हुए। आजीवन साहित्य-सेवा में रत रहे।

उन्होंने विद्यार्थीकाल में ही अपने दो सहयोगियों रामनारायण मिश्र और ठाकुर शिवकुमार सिंह की सहायता से नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना (16 जुलाई, 1893) की। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आने से पूर्व उन्होंने हिन्दी-साहित्य की सर्वतोमुखी समृद्धि के लिए न्यायालयों में हिन्दी-प्रवेश का आन्दोलन (1900 ई.), हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज (1899 ई.), हिन्दी शब्द सागर का सम्पादन (1907 ई.), आर्य भाषा पुस्तकालय की स्थापना (1903 ई.), सभा-भवन का निर्माण (1902 ई.), सरस्वती पत्रिका का सम्पादन (1900 ई.) तथा शिक्षास्तर के अनुरूप पाठ्य-पुस्तकों का निर्माण-कार्य आरम्भ कर दिया था।

उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं—‘नागरी वर्णमाला’, ‘हिन्दी हस्तलिखित ग्रन्थों का वार्षिक खोज विवरण’, ‘हिन्दी हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज का प्रथम त्रैवार्षिक विवरण’, ‘हिन्दी कोविद रत्नमाला’ (भाग 1-2), ‘साहित्यालोचन’, ‘हस्तलिखित हिन्दी ग्रन्थों का संक्षिप्त विवरण’, ‘भाषा-विज्ञान’, ‘गद्य कुसुमावली’, ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र’, ‘हिन्दी भाषा और साहित्य’, ‘गोस्वामी तुलसीदास’, ‘रूपक रहस्य’, ‘भाषा रहस्य’ (भाग-1), ‘हिन्दी गद्य के निर्माता’ (भाग 1-2), ‘कबीर-ग्रंथावली’, (1928 में पहली बार प्रकाशित) ‘मेरी आत्म कहानी’।

सन् 1945 में उनका निधन हुआ।

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