Borunda Diary-Paper Back

Special Price ₹135.00 Regular Price ₹150.00
You Save 10%
ISBN:9788126726950
In stock
SKU
9788126726950
- +

ऐसे लेखक बिरले होते हैं जो अपनी आधुनिकता/प्रगतिशीलता को सही विकल्प मानने के बावजूद उस अहंकार को जीत पाते हैं जो आधुनिकता और प्रगतिशीलता में कहीं बद्धमूल है। बिज्जी ऐसे बिरले आधुनिक लेखक थे। वे पूर्व-आधुनिक से उसकी वाणी नहीं छीनते, उसका ‘प्रतिनिधि’ बनने की, उसे अपने अधीन लाने की और इस तरह अपने को श्रेष्ठतर जताने की औपनिवेशिक कोशिश नहीं करते। जैसे ‘व्हाइट मेन’स बर्डन’ होता है वैसे ही एक ‘मॉडर्न मेनֹ’स बर्डन’ भी होता है। बिज्जी के कथा-लोक में उनकी ‘बातां री फुलवाड़ी’ में, जो उनके लेखन का सबसे सटीक रूपक भी है और उनका मैग्नम ओपस भी, पूर्व-आधुनिक भी फूल हैं, ‘पिछड़े’, ‘गँवार’ नहीं।

बिज्जी ताउम्र बोरूंदा में रहे, वहीं एक प्रेस स्थापित किया, प्रणपूर्वक राजस्थानी में लिखा और अपने गाँव में अपने प्रगतिशील, आधुनिक विचारों और नास्तिकता के बावजूद विरोधी भले माने गए हों, ‘बाहरी’ कभी नहीं माने गए।

चौदह खंडों में ‘बातां री फुलवाड़ी’ रचकर उन्होंने भारतीय और विश्वसाहित्य के इतिहास में जिस युगान्तकारी परिवर्तन का सूत्रपात किया था, वह अब भी हिन्दी पाठकों को अपनी समग्रता में उपलब्ध नहीं था। बिज्जी के स्नेहाधिकारी और द्विभाषी लेखक मालचन्द तिवाड़ी उसके बड़े हिस्से का अनुवाद करने के लिए एक साल तक बिज्जी के साथ बोरूंदा में रहे, वही एक साल जो बिज्जी के जीवन का अन्तिम एक साल सिद्ध हुआ। इस डायरी में बिज्जी का वह पूरा साल है जब वे शारीरिक रूप से परवश होकर अपनी स्वभावगत सक्रियता का अनन्त भार अपने मन पर सँभाले रोग-शय्या पर थे।

यह भी एक अर्थ-बहुल विडम्बना है कि बिज्जी के शाहकार का अनुवाद एक ऐसे लेखकीय आत्म के हाथों सम्पन्न हुआ जो इस डायरी-वृत्तान्त में एक आस्तिक ही नहीं, एक पूर्व-आधुनिक की तरह प्रस्तुत है। इस डायरी-वृत्तान्त को पढ़ना, डायरीकार को पढ़ना दरअसल बिज्जी के अपने रचे समाज को, उनके कथा-संसार को पढ़ना है जिसके साथ बिज्जी के द्वन्द्वात्मक लेकिन करुणामय सम्बन्ध का एक उदाहरण इस डायरीकार के साथ बिज्जी का—और बिज्जी के साथ डायरीकार का—अपना निजी, जटिल और रागात्मक सम्बन्ध है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 160p
Price ₹150.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Borunda Diary-Paper Back
Your Rating
Malchand Tiwari

Author: Malchand Tiwari

मालचन्द तिवाड़ी

जन्म : 19 मार्च, 1958, बीकानेर (राजस्थान)।

शिक्षा : एम.ए., हिन्दी साहित्य (प्रथम श्रेणी), महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, अजमेर।

प्रकाशित कृतियाँ : हिन्दी—‘पर्यायवाची’ (उपन्यास); ‘पानीदार तथा अन्य कहानियाँ’, ‘सुकान्त के सपनों में’, ‘जालियाँ और झरोखे’, ‘त्राण तथा अन्य कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह)। राजस्थानी—‘भोळावण’ (उपन्यास); ‘धड़न्द’, ‘सेलिब्रेशन’ (कहानी-संग्रह); ‘उतर्यो है आभो’ (कविता-संग्रह)।

कई भारतीय भाषाओं में हिन्दी तथा राजस्थानी रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित।

अनुवाद : एच.जी. वेल्स की कालजयी कथाकृति ‘टाइम मशीन’ का ‘काल की कल’ शीर्षक से हिन्दी में अनुवाद; ‘गीतांजलि’ का मूल बांग्ला से राजस्थानी में गीति छन्द में अनुवाद; विजयदान देथा कृत ‘बातां री फुलवाड़ी’ (चौदह में से दस भागों) का हिन्दी में अविकल अनुवाद।

सम्मान : राजस्थानी कविता-संग्रह ‘उतर्यो है आभो’ पर केन्द्रीय साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली का ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’; ‘गणेशीलाल व्यास ‘उस्ताद’ पद्य पुरस्कार’ (राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादेमी, बीकानेर); ‘डॉ. एल.पी. टैस्सीटोरी गद्य पुरस्कार’ (नगर विकास न्यास, बीकानेर); ‘सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार’ (राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर)।

Read More
Books by this Author
We found other products you might like!
Back to Top