Bhartiya Cine-Siddhant-Hard Cover

Author: Anupam Ojha
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ISBN:9788171197958
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“मैं अक्सर महसूस करता हूँ कि हमारी जनता एक तरफ़ व्यावसायिक विकृतियों का शिकार है तो दूसरी तरफ़ उन विशिष्टतावादी फ़िल्मकारों का जिनके शब्दों का उस पर कोई असर नहीं होता और जो उसे और उलझा देते हैं। मैं सोचता था कि हमारे भी गम्भीर फ़िल्मकार इस देश के मिथकों और लोक-परम्परा को उसी तरह आत्मसात् कर सकेंगे, जैसे अकीरा कुरोसावा ने जापान के क्लासिकी परम्परा को किया है और फिर एक नया लोकप्रिय फ़ॉर्म विकसित हो सकेगा। उलटे हम पाते हैं कि पश्चिम के विख्यात फ़िल्मकारों में ही उलझे हैं हमारे लोग और कभी-कभी उनकी नाजायज नक़ल भी करते हैं। हमें पहले ही नहीं मान लेना चाहिए कि जनता प्रयोग और नवीकरण के मामले में तटस्थ है।”

—उत्पल दत्त

हिन्दी सिनेमा एक साथ ढेर सारे मिले-जुले प्रभावों से परिचालित है। एक तरफ़ हॉलीवुड सिनेमा, लोकनाट्य रूपों तथा पारसी थियेटर की खिचड़ी, दूसरी तरफ़ पौराणिक मिथकों का लोक-लुभावन स्वरूप, तीसरी तरफ़ इटैलियन नवयथार्थवादी सिनेमा का प्रभाव। इन सबके बीच भारतीय सिनेमा के अपने मूल गुणों को पहचानने-परखने की कोशिश ही इस पुस्तक का ध्येय है। दादा साहब फाल्के ने भारतीय सिनेमा को व्याकरण के साँचे में कसने के लिए एक भारतीय सिने-सिद्धान्त की आवश्यकता महसूस की थी लेकिन वे स्वयं ऐसा कर नहीं पाए और आगे भी नहीं किया जा सका।

भारतीय सिने-सिद्धान्त और सिने-कला, इतिहास, पटकथा की संरचना आदि पर छिटपुट टिप्पणियों, लेखों, विचारों को एकत्रित कर सिने-सिद्धान्त का अवलोकन इस पुस्तक के मुद्दों में केन्द्रीय है। सिनेमा की कला-भाषा का ठीक से शिक्षण नहीं होने के चलते एक दृष्टिहीन सिनेमा का व्यावसायिक लुभावना सम्मोहन समाज पर हावी है। यह पुस्तक भारतीय सिने-सिद्धान्त को लेकर किंचित् भी चिन्तित व्यक्तियों को गम्भीरता से सोचने के लिए तथ्य उपलब्ध कराएगी, साथ ही एक सामूहिक प्रयास के लिए प्रेरित करेगी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2022, Ed. 5th
Pages 231p
Price ₹795.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Anupam Ojha

Author: Anupam Ojha

अनुपम ओझा

जन्म : 5 जनवरी, 1970

शिक्षा : पीएच.डी. काशी विश्वविद्यालय, वाराणसी; एफ.ए., फ़िल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे।

कहानी, कविता, गीत-ग़ज़ल, लेख, पटकथा आदि विभिन्न विधाओं में लेखन। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से प्रसारित।

प्रमुख कृतियाँ : ‘जलतरंगों की आत्मकथा’ (काव्य-संग्रह); ‘भारतीय सिने-सिद्धान्‍त’ (सिनेमा); ‘कहाँ है मेरा देश’ (नुक्कड़ नाटक); ‘रामचेला’, ‘फूलों के लिए सपना’ (मंचित)।

सम्पादन : ‘समाधान’ नामक लघुकथा पुस्तक का सम्पादन।

संयोजन : ‘समाधान’ नामक साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्था का संगठन तथा विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों का संयोजन।

सम्प्रति : सहारा टी.वी. नेटवर्क में कार्य।

 

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