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Zohra Nigah

Zohra Nigah

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ज़ोहरा निगाह

जन्‍म : 14 मई, 1937; हैदराबाद, ब्रिटिश इंडिया। 1947 में बँटवारे के दौरान आपका परिवार पाकिस्‍तान जा बसा।

साहित्य क्षितिज पर एक बाल प्रतिभा के रूप में आपका उदय 1950 में हुआ और तब से आज तक आप मुशायरों की एक लोकप्रिय आवाज़ बनी हुई हैं।

जीवन को आप निस्सन्देह स्त्री की निगाह से देखती हैं लेकिन आपके सरोकार स्त्रियों तक ही सीमित नहीं हैं। स्त्री-सुलभ बिम्बों और मुहावरों का इस्तेमाल करते हुए आपने समकालीन, सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर गम्भीर टिप्पणियाँ की हैं। बांग्लादेश युद्ध और अफ़ग़ानिस्तान की हृदयविदारक घटनाओं की तरफ़ आपने इशारा किया। जनरल ज़िया के शासनकाल में आपने दमनकारी हुदूद अध्यादेश पर भी लिखा। मुहब्बत, दोस्ती और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के सुख-दु:ख आपकी शायरी के प्रिय विषय रहे हैं।

आपकी अभी तक प्रकाशित कविता पुस्तकों में ‘शाम का पहला तारा’ और ‘वर्क़’ शामिल हैं। आपने कभी ज़्यादा लिखने की कोशिश नहीं की, इसीलिए आपकी क़लम से जो भी निकला, मोती-सी मानिन्द चमकता हुआ निकला।

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