Virendra Kumar Gupta
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वीरेंद्रकुमार गुप्त
जन्म : 29 अगस्त, 1928; सहारनपुर (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए., साहित्यरत्न।
मूलतः कवि; बाद में उपन्यास लेखन; कथा के क्षेत्र में खोजपूर्ण ऐतिहासिक विषयों में विशेष रुचि; कथा-लेखन के साथ-साथ चिन्तनपरक निबन्ध-लेखन; 1950 से 1988 तक अध्यापन; थारो, जैक लंडन, डिकेन्स, अरविन्द आदि की कई रचनाओं का हिन्दी में अनुवाद; जैनेन्द्र से एक लम्बा संवाद जो ‘समय और हमֹ’ शीर्षक से 1962 में प्रकाशित; इस सबके समानान्तर बाल-साहित्य में योगदान; अंग्रेज़ी में भी चिन्तनात्मक लेखन।
प्रमुख कृतियाँ : नाटक—‘सुभद्रा-परिणय’ (1952); प्रबन्ध-काव्य—‘प्राण-द्वन्द्व’ (1963); उपन्यास—‘विष्णु गुप्त चाणक्य’, ‘मध्यरेखा’, ‘शब्द का दायरा’, ‘चार दिन’, ‘प्रियदर्शी’, ‘विजेता’; बाल उपन्यास—‘झील के पार’, ‘समुद्र पर सात दिन’ (पुरस्कृत); चिन्तन—‘Ahinsa in India's Destiny’; अप्रकाशित—उपन्यास—‘विरूप’, ‘खोने-पावने’; खंड काव्य—‘राधा सुनो’; चिन्तन—‘समय और हम’, ‘दृष्टिकोण’, ‘Nirvan-Upanishad’।