Usha Raje Saxena
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उषा राजे सक्सेना
गोरखपुर उत्तर-प्रदेश में जन्मीं, विगत तीन दशक से इंग्लैंड में प्रवासी भारतीय के रूप में जीवनयापन करनेवाली, मूलतः कवयित्री, कथाकार उषा राजे सक्सेना सर्जनात्मक प्रतिभा- सम्पन्न एक ऐसी लेखिका हैं जिनके साहित्य में अपने देश, सभ्यता, संस्कृति तथा भाषा के प्रति गहरे और सच्चे राग के साथ प्रवासी जीवन के व्यापक अनुभवों और गहन सोच का मंथन मिलता है।
हिन्दी के प्रचार-प्रसार से जुड़ीं उषा राजे सक्सेना का लेखन (हिन्दी-अंग्रेज़ी) पिछली सदी के सातवें दशक में साउथ लंदन के स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं एवं रेडियो प्रसारण के द्वारा प्रकाश में आया। तदनन्तर आपकी कविताएँ, कहानियाँ एवं लेख आदि भारत, अमेरिका एवं योरोप के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में छपती रहीं। आपकी कई रचनाएँ विभिन्न भारतीय भाषाओं एवं अंग्रेज़ी में अनूदित हो चुकी हैं। कुछ रचनाएँ जापान के ओसाका विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम मंे भी सम्मिलित हैं।
उषा राजे ब्रिटेन की एकमात्र हिन्दी की साहित्यिक त्रौमासिक पत्रिका ‘पुरवाई’ की सह-संपादिका तथा हिन्दी समिति यू.के. की उपाध्यक्षा हैं। पिछले तीन दशक आप ब्रिटेन के लंदन बॉरो ऑफ मर्टन की विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं में महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रही हैं। आपने बॉरो ऑफ मर्टन एजूकेशन अथॉरिटी के पाठ्यक्रम का हिन्दी अनुवाद भी किया।
भारत की विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रवास में हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए सम्मानित। अभी हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उषा जी को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ में ‘हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान’ से पुरस्कृत किया है।
कुछ ही वर्षों पूर्व उषा जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (हरियाणा) ने शोधकार्य किया है।
प्रमुख कृतियाँ :
काव्य-संग्रह : ‘विश्वास की रजत सीपियाँ’, 1996; ‘इंद्रधनुष की तलाश में’, 1997; कहानी-संग्रह : ‘प्रवास में’, 2002।
सम्पादन : ‘मिट्टी की सुगंध’, 1999 (ब्रिटेन के प्रवासी भारतवंशी लेखकों का प्रथम कहानी-संग्रह)।
सम्पर्क : 54, हिल रोड, मिचम, सरे, सी.आर. 42, एच.क्यू. यू.के.
ई-मेल : usharajesaxena@hotmail.com