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Sukrita Paul Kumar

Sukrita Paul Kumar

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सुकृता पॉल कुमार

कवि, आलोचक और शिक्षाविद् हैं। सुकृता का जन्म सन् 1949 में नैरोबी, केन्या में हुआ। बाद में वे भारत आ गईं। उन्होंने जाकिर हुसैन कॉलेज, हिन्‍दू कॉलेज और गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आट् र्स एंड साइंसेज, मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। 

‘शान्‍ति की संस्कृति’ पर यूनेस्को की एक परियोजना के निदेशक के रूप में उन्होंने भारत और पाकिस्तान की उर्दू लघुकथाओं के एक खंड ‘मैपिंग मेमोरीज़’ का सम्पादन किया। उनकी कई कविताएँ बेघर लोगों, सुनामी पीड़ितों और सड़क पर रहनेवाले बच्चों के साथ काम करने के उनके अनुभव से निकली हैं।

प्रमुख कृतियाँ : ‘नैरेटिंग पार्टीशन : टेक्स्ट’, ‘इंटरप्रेटेशंस’, ‘आइडियाज़’, ‘द न्यू स्टोरी : ए स्टडी ऑफ़ लिटरेरी मॉडर्निज़्म इन उर्दू एंड हिन्‍दी शॉर्ट फ़िक्शन’, ‘कन्वर्सेशंस ऑन
मॉडर्निज़्म : डायलॉग्स विथ राइटर्स’, ‘क्रिटि‍क्स एंड फ़िलॉस्फ़र्स’, ‘मैन, वुमन एंड एंड्रोगिनी : ए स्टडी ऑफ़ द नॉवेल्स ऑफ़ थियोडोर ड्रिजर’, ‘स्कॉट फिट्जेराल्ड एंड अर्नेस्ट हेमिंग्वे’ (आलोचना); ‘सात पत्ते’, ‘एक शरद ऋतु’, ‘पोयम्स कम होम’ (द्विभाषी, गुलज़ार द्वारा अनुवादित), ‘रोइंग टुगेदर’, ‘विदाउट मार्जिन्स’, ‘फ़ोल्ड्स ऑफ़ साइलेंस’,  ‘अपर्णा’, ‘दोलन’  (कविता); ‘जोगिंदर पॉल की कहानियाँ’, ‘स्लीपवॉकर्स जोगिंदर पॉल (अनुवाद); ‘द डाइंग सन : स्टोरीज़ बाय जोगिंदर पॉल’, ‘कल्चरल डाइवर्सिटी’, ‘लिंग्विस्टिक प्लुरैलिटी’ एंड लिट् रेरी ट्रेडि‍शंस ऑफ़ इंडिया (सम्‍पादन); ‘चम्‍बा अचम्‍बा’, ‘स्पीकिंग फ़ॉर माइसेल्फ़’, ‘क्रासिंग ओवर’, ‘इंटरप्रेटिंग होम इन साउथ एशिया’, ‘विमेंस स्टडीज़ इन इंडिया : कॉन्‍टुअर्स ऑफ़ चेंज’ (सह-सम्पादन)।

सम्मान—शिमला स्थित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान तथा भारतीय संस्कृति मंत्रालय के टैगोर फ़ेलोशिप के साथ-साथ विभिन्न फ़ेलोशिप से सम्मानित। 2009 में ‘भारतीय महिलाओं और उनके जीवन’ पर पाठ्यक्रम डिज़ाइन करने के लिए कॉनकॉर्डिया विश्वविद्यालय में विज़िटरशिप से सम्मानित किया गया। 

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