Sudama Panday Dhoomil
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धूमिल
9 नवम्बर, 1936 को उत्तर प्रदेश के एक गाँव खेवली (वाराणसी) में जन्मे धूमिल का मूल नाम सुदामा पाण्डेय था।
आरम्भिक शिक्षा गाँव के प्राइमरी स्कूल से पाई। हरिश्चन्द्र इंटर कॉलेज, वाराणसी में ग्यारहवीं कक्षा में दाखिले के बावजूद अर्थाभाव के कारण पढ़ाई छूट गई।
कुछ समय आजीविका की तलाश में काशी से कलकत्ता तक भटकते रहे। 1958 में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, वाराणसी से विद्युत-डिप्लोमा हासिल किया। 12 जुलाई, 1958 को वहीं
विद्युत-अनुदेशक के पद पर नियुक्त हुए।
लेखन की शुरुआत तभी हो गई थी जब सातवीं कक्षा में पढ़ रहे थे। आरम्भिक गीत विभिन्न
पत्र-पत्रिकाओं में छपे लेकिन संग्रह कभी प्रकाशित नहीं हुआ। पहली कहानी ‘फिर भी वह जिन्दा है’ ‘साकी’ के जून, 1960 अंक में छपी। 1972 में पहला कविता-संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ प्रकाशित हुआ। इसके बाद दो कविता-संग्रह और प्रकाशित हुए : 1977 में ‘कल सुनना मुझे’ तथा 1984 में ‘सुदामा पाँड़े का प्रजातंत्र’।
‘संसद से सड़क तक’ को 1975 में मध्य प्रदेश शासन साहित्य परिषद का ‘मुक्तिबोध पुरस्कार’, जबकि ‘कल सुनना मुझे’ को 1979 का ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ प्रदान किया गया ।
10 फरवरी, 1975 को के.जी. मेडिकल कॉलेज, लखनऊ में ब्रेन ट्यूमर के कारण निधन हुआ।