Subota Joji
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त्सुबोता जोजी
त्सुबोता जोजी का जन्म 1890 में ओकायामा प्रान्त के शिमादा गाँव में हुआ। जोजी, ओगावा मिमेइ को अपना गुरु अवश्य मानते थे लेकिन जोजी का साहित्य ओगावा मिमेइ से काफ़ी हद तक अलग है।
त्सुबोता जोजी सम्पन्न परिवार में पैदा हुए और सदाबहार आबोहवा में साँस लेते रहे। उनका बचपन बहुत ख़ुशहाल था। इसीलिए ओगावा मिमेइ के साहित्य में अगर ग़रीबी, उत्तरी जापान में पैदा होने का क्षोभ एवं उदासी झलकती है, तो त्युबोता जोजी की रचनाओं में हमेशा बसंत की हवा, चहल-पहल, हँसते-खेलते, फलते-फूलते बच्चे, हरे-भरे खेत व मैदान देखने को मिलते हैं।
ओकायामा के प्राकृतिक सौन्दर्य तथा आबोहवा से जोजी पूरी तरह प्रभावित थे। सपने और वास्तविक दुनिया के बीच तालमेल के साथ स्थानीय रीति-रिवाज, खेत-खलिहानों की ज़िन्दगी का बहुआयामी चित्रण इनकी रचनाओं में मिलता है। शहर में घुटन महसूस हुई नहीं कि तुरन्त ये गाँव पहुँच जाते थे। त्सुबोता जोजी की रचनाओं में अक्सर मुख्यपात्र बालक एवं बूढ़े होते हैं।
किशोर तो शिगा ‘नाओया की कहानियों में भी दिखते हैं, परन्तु वे गाँव के नहीं, शहरी होते हैं। उत्साह और उमंग के बीच त्सुबोता जोजी ने जीवन के गम्भीर पहलुओं पर भी प्रकाश डाला है। लोमड़ी और अंगूर में ममता की भावना को एक बच्चे की निगाहों से देखने की कोशिश की गई है।
निधन : सन् 1982