Shivratan Thanvi
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शिवरतन थानवी
कभी अंग्रेज़ी शिक्षण में दीक्षित, मगर बाद में दीक्षा-प्रशिक्षा की रूढ़ि पर ही सवाल उठानेवाले के रूप में जाने गए। लम्बे अरसे तक शिक्षा की पत्रिकाओं—‘शिविरा पत्रिका’, ‘नया शिक्षक’ और ‘टीचर टुडे’ का सम्पादन किया। सृजनरत शिक्षकों की रचनाओं के सामूहिक प्रकाशन का सिलसिला भी चलाया।
गिजुभाई और दयालजी मास्साब से लेकर इवान इलिच, जॉन होल्ट और पावलो फ्रेरे आदि के शैक्षिक विचारों पर चर्चा छेड़ी, बहसें चलाईं। पठन-पाठन और स्वाध्याय के हिमायती। देश में शिक्षा का साहित्य से रिश्ता जोड़नेवालों में अगुआ। पढ़ते ज़्यादा, लिखते कम थे। साहित्य, संगीत आदि में गहरी रुचि। हिन्दी-राजस्थानी के साथ बांग्ला और गुजराती भाषाओं के जानकार।
प्रकाशन : ‘आज की शिक्षा कल के सवाल’, ‘कोबायाशी की कहानी’, ‘तोड़ना बाधाओं का’ (अनुवाद); ‘सामाजिक विवेक की शिक्षा’, ‘भारत में सुकरात’, ‘शिक्षा सर्वोपरि’।
निधन : 22 अप्रैल, 2018