Saurabh Shukla
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सौरभ शुक्ला
जन्म : 5 मार्च, 1963 को (गोरखपुर, उत्तर प्रदेश)।
2 वर्ष के थे जब इनका परिवार दिल्ली आ गया। माँ जोगमाया शुक्ला (भारत की पहली महिला तबलावादक)।
पिता श्री शत्रुघ्न शुक्ला, आगरा घराने के गायक।
शिक्षा : स्कूली व स्नातक तक की शिक्षा खालसा कॉलेज, दिल्ली से ही। 1984 से थिएटर में आने के साथ करियर की शुरुआत। 1986 में 'अ व्यू फ़्रॉम द ब्रिज' (आर्थर मिलर), 'लुक बैक इन एंगर' (जॉन ऑब्सर्न) और 'घासीराम कोतवाल' (विजय तेंदुलकर) नाटकों में काम।
1991 में नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा की प्रोफेशनल शाखा एनएसडी रंगमंडल कंपनी का हिस्सा बने, जिसके एक साल बाद ही इनके काम से ख़ुश होकर शेखर कपूर ने इन्हें अपनी फ़िल्म 'बैंडिट क्वीन' में ब्रेक दिया।
इस बीच दूरदर्शन, जी टीवी सहित अनेक टीवी सीरियलों में पटकथा-लेखन व एक्टिंग का काम लगातार जारी रहा। 1998 में 'कल्ट क्लासिक' फ़िल्म 'सत्या' का सह-लेखन रामगोपाल वर्मा के साथ किया और उसके गैंगस्टर 'कल्लू मामा' का अविस्मरणीय किरदार भी निभाया। इसके लिए उन्हें अनुराग कश्यप के साथ 'बेस्ट स्क्रीनप्ले' का अवार्ड भी मिला। इसके बाद 'ताल', 'बादशाह', 'मोहब्बतें', 'ये साली ज़िन्दगी', 'आरक्षण', 'बर्फी', 'गुंडे', 'जग्गा जासूस' और 'रेड' जैसी फ़िल्मों में अहम किरदार निभाए।