Pramod Ranjan
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प्रमोद रंजन
प्रमोद रंजन का जन्म 22 फरवरी, 1980 को हुआ। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से ‘अद्विज हिन्दी कथाकारों के उपन्यासों में जाति-मुक्ति का सवाल’ विषय पर पी-एच.डी.
की उपाधि प्राप्त की है। वे हिन्दी समाज-साहित्य को देखने-समझने के परम्परागत नज़रिए को चुनौती देनेवाले लोगों में से एक हैं। उन्होंने अपनी वैचारिक यात्रा पत्रकारिता से शुरू की। इस दौरान वे ‘दिव्य हिमाचल’, ‘दैनिक भास्कर’, ‘अमर उजाला’ व ‘प्रभात खबर’ जैसे अख़बारों से सम्बद्ध रहे तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। इनमें ‘जनविकल्प’ (पटना), ‘भारतेंदु शिखर’, ‘ग्राम परिवेश’ (शिमला) और ‘फारवर्ड प्रेस (दिल्ली) शामिल हैं। उनके सम्पादन में प्रकाशित किताबों—‘बहुजन साहित्य की प्रस्तावना’ और ‘बहुजन साहित्येतिहास’—ने जहाँ एक ओर बहुजन साहित्य की अवधारणा को सैद्धान्तिक आधार प्रदान किया, वहीं ‘महिषासुर :
एक जननायक’ ने वैकल्पिक सांस्कृतिक दृष्टि को एक व्यापक विमर्श का विषय बनाया। उन्होंने पेरियार ई.वी. रामासामी की तीन पुस्तकों—‘जाति व्यवस्था और पितृसत्ता’, ‘सच्ची रामायण’ तथा ‘धर्म और विश्वदृष्टि’ का भी सम्पादन किया है।
सम्प्रति : असम विश्वविद्यालय के रवींद्रनाथ टैगोर स्कूल ऑफ लैंग्वेज एंड कल्चरल स्टडीज में प्राध्यापक।