Nandkishore Pandey
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नन्दकिशोर पाण्डेय
प्रो. नन्दकिशोर पाण्डेय का जन्म सन् 1965 में ग्राम—भाँटी, ज़िला—सिवान, बिहार में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से पूरी करने के पश्चात् इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बी.ए. (हिन्दी), एम.ए. (हिन्दी), पीएच.डी. तथा तेलुगू (एडवांस डिप्लोमा) की उपाधि प्राप्त की।
अपने अध्यक्षीय जीवन का प्रारम्भ करते हुए इन्होंने राजस्थान के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में, राजीव गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में रीडर, प्रोफ़ेसर तथा विभागाध्यक्ष रहे। तत्पश्चात् राजस्थान विश्वविद्यालय के मानविकी पीठ के निदेशक, कला संकाय-अधिष्ठाता के रूप में कार्य कर चुके हैं। डॉ. पाण्डेय वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष रहे। वर्तमान में केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के निदेशक पद पर कार्यरत हैं। डॉ. पाण्डेय हिन्दी प्राध्यापकों की संस्था भारतीय हिन्दी परिषद, प्रयागराज के निर्वाचित सभापति हैं।
डॉ. पाण्डेय के प्रधान सम्पादकत्व में ‘हिन्दी अनुशीलन’, ‘गवेषणा’, ‘समन्वय पूर्वोत्तर’, ‘शैक्षिक उन्मेष’, ‘समन्वय दक्षिण’, ‘समन्वय पश्चिम’, ‘संवाद पत्र’ तथा ‘प्रवासी जगत्’ जैसी प्रतिष्ठित त्रैमासिक पत्रिकाएँ निरन्तर प्रकाशित हो रही हैं। जनजातीय एवं हाशिए पर चली गई भाषाओं के संरक्षण के लिए इनके सम्पादन में कई अध्येता कोशों का सम्पादन हो चुका है। अनेक भाषाओं के लोक साहित्य के सम्पादन एवं प्रकाशन का कार्य आपके द्वारा किया जा रहा है।
प्रो. पाण्डेय सन्त साहित्य के चर्चित और प्रतिष्ठित विद्वान् हैं। आदिकालीन और भक्तिकालीन साहित्य की हिन्दी साहित्य में पुनर्प्रतिष्ठा के लिए निरन्तर प्रयत्नशील हैं। पाठालोचन इनकी रुचि और प्रवृत्ति का विषय है। इन्होंने पांडुलिपियों के भीतर से कई अल्पख्यात कृतियों को चर्चा में लाने का यत्न किया है। सन्त साहित्य की समझ को विकसित करने के लिए इनके कई चर्चित शोध-पत्र प्रकाशित हुए हैं। ‘सन्त रज्जाब’, ‘सन्त साहित्य की समझ’ और ‘रज्जब’ इनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं।