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Mukund Diwedi

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मुकुन्द द्विवेदी

डॉ. मुकुन्द द्विवेदी का जन्‍म 1 मार्च, 1943 को शान्तिनिकेतन, पश्चिम बंगाल में हुआ।

उनकी प्रारम्भिक शिक्षा शान्तिनिकेतन में हुई, फिर बनारस और चंडीगढ़ में। उन्होंने अपनी पहली नौकरी पंजाब यूनिवर्सिटी में लेक्चरार के रूप में शुरू की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज में आ गए।

डॉ द्विवेदी ने अपनी पहली किताब ‘हिन्दी उपन्यास का समकालीन इतिहास’ भी उसी दौरान लिखी थी। 1979 में वे भारत सरकार के एनएसएस यानी राष्ट्रीय सेवा योजना में तीन साल के लिए गुजरात गए, जहाँ वे पाँच राज्यों के एनएसएस प्रभारी थे। इस दौरान उन्होंने गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, दमन और दीव में एनएसएस के काम को बहुत आगे बढ़ाया। इन राज्यों के गाँव-गाँव घूमकर उन्होंने यह समझा कि गाँव का विकास करने के लिए शिक्षा गाँव तक पहुँचानी पड़ेगी। जहाँ बच्चों की शिक्षा पर सरकार सक्रियता से काम कर रही है, वहीं प्रौढ़ शिक्षा पर भी काम करने की ज़रूरत है।

1981 में वे दिल्ली वापस आकर सरकार के प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम से जुड़े और इसके लिए हिन्दी में पुस्तकें तैयार कीं। साथ ही हिन्दी के विकास और प्रसार के लिए वे दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा से भी जुड़े।

1979 में अपने पिता आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के निधन के बाद ‘आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी स्मृति न्यास’ की शुरुआत की। इसके तहत वे हर वर्ष आचार्य जी के जन्मदिन पर एक व्याखानमाला का आयोजन करते थे। इसी दौरान उन्होंने आचार्य द्विवेदी के पत्रों का संकलन भी छापा और पत्र को साहित्यिक लेखन का हिस्‍सा बनाया।

डॉ द्विवेदी दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ से भी जुड़े थे, और बाद में वे दिल्ली की राजनीति में भी शामिल रहे। वे दिल्ली सरकार के हिन्दी अकादमी से जुड़े और साल 2002 से 2004 तक उपाध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने हिन्दी भाषा के डिजिटल प्रसार का काम भी शुरू किया।

डॉ. द्विवेदी की प्रमुख कृतियाँ हैं : ‘हिन्दी उपन्यास का समकालीन इतिहास’, ‘क़ि‍स्सा तोता-मैना’, ‘बन्‍द दरवाज़ों का रहस्य’, ‘लोकमान्य गंगाधर तिलक’, ‘प्रौढ़ शिक्षा में हिन्दी भाषा की भूमिका’।

सम्‍पादन : ‘हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रंथावली’ (12 खंड) सहित कई पुस्‍तकों का सम्‍पादन।

11 फरवरी, 2013 को दिल्‍ली में उनका देहावसान हुआ।

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