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Manoj Mehta

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मनोज मेहता

जन्म : 1964; मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार।

बिहार विश्वविद्यालय से हिन्दी में बी.ए. ऑनर्स और एम.ए.। दिल्ली विश्वविद्यालय से राजकमल चौधरी की लम्बी कविता ‘मुक्ति प्रसंग’ पर एम.फ़ि‍ल्. के लिए शोध-प्रबन्ध।

कमलेश्वर के सम्पादन में ‘दैनिक जागरण’ में उप-सम्पादक रहे और उन्हीं के साथ अख़बार की नीतियों से असहमति के कारण अन्ततः त्यागपत्र दे दिया।

कुछ वर्ष तक दिल्ली में फ़्रीलांस पत्रकार के रूप में काम करने के बाद बिहार लौटकर प्रगतिशील लेखक संघ के सचिव की हैसियत से सक्रिय रहे। प्रलेस के ग्यारहवें राज्य सम्मेलन के मुख्य संयोजक।

वर्ष 2000 में पुनः दिल्ली आए और ‘राष्ट्रीय सहारा’ में पत्रकारिता आरम्भ की। फिर साप्ताहिक ‘सहारा समय’ से जुड़े।

प्रकाशन : सबसे पहले 1986 में ‘धर्मयुग’ में कविताएँ प्रकाशित हुईं। तब से आज तक हिन्दी की महत्त्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिकाओं में गद्य और कविताओं का निरन्तर प्रकाशन। पहला कविता-संग्रह ‘आखेट’ तो दूसरा ‘सुलगा हुआ राग’ शीर्षक से प्रकाशित और चर्चित।

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