Madhukar Gangadhar
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मधुकर गंगाधर
जन्म : 7 जनवरी, 1933
‘नई कहानी’ आन्दोलन के प्रमुख कहानीकारों में से एक। एक कवि के रूप में भी उल्लेखनीय।
उन्होंने आकाशवाणी के पटना केन्द्र में काम किया, जहाँ वे फणीश्वरनाथ रेणु के सहयोगी रहे। इलाहाबाद में ऑल इंडिया रेडियो के निदेशक और दिल्ली आकाशवाणी में उप-महानिदेशक भी थे।
मधुकर जी ने अनेक विधाओं में लेखन किया। प्रमुख कृतियाँ हैं—‘मोतियों वाले हाथ’, ‘यही सच है’, ‘उत्तरकथा’, ‘गर्म पहलुओं वाला मकान’, ‘सुबह होने तक’, ‘जयगाथा’, ‘ध्रुवान्तर’, ‘भीगी हुई लड़की’, ‘नील कोठी’ (उपन्यास); ‘तीन रंग : तेरह चित्र’, ‘हिरना की आँखें’, ‘नागरिकता के छिलके’, ‘मछलियों की चीख़’, ‘गाँव क़स्बा नगर’, ‘गर्म गोश्त : बर्फ़ीली तासीर’, ‘शेरछाप कुर्सी’, ‘बरगद’, ‘सौ का नोट’, ‘उठे हुए हाथ’। इनके अलावा अन्य विधाओं में कविता-संग्रह, संस्मरण, नाटक की कई पुस्तकें प्रकाशित। उन्होंने बांग्ला लेखक सतीनाथ भादुड़ी के उपन्यास 'ढोड़ाय चरितमानस' का हिन्दी में रूपान्तरण भी किया था।
निधन : 6 दिसम्बर, 2020