M. Hiriyanna
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एम. हिरियन्ना
जन्म : 7 मई, 1871; मैसूर।
आरम्भिक शिक्षा मैसूर में ही जहाँ उन्होंने संस्कृत का ज्ञान प्राप्त किया। स्नातकोत्तर मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास से। उनका व्यावसायिक जीवन मैसूर ओरिएंटल लाइब्रेरी जिसे अब ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट कहा जाता है, में पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में 1891 में शुरू हुआ। यहाँ उन्होंने संस्कृत तथा कन्नड़ की पुस्तकों और पांडुलिपियों के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य किया। इसके पश्चात् उन्होंने अध्यापक बनने के इरादे से प्रशिक्षण प्राप्त किया और 1896 में गवर्नमेंट नॉर्मल स्कूल में अध्यापक हो गए और 1907 में यहाँ के प्रधानाचार्य बने। उनके अध्यवसाय को देखते हुए मैसूर विश्वविद्यालय के उप-कुलपति की अनुशंसा पर उन्हें महाराजा कॉलेज, मैसूर में संस्कृत का प्रवक्ता नियुक्त किया गया, जहाँ वे दर्शन विभाग के अध्यक्ष ए.आर. वाडिया के सम्पर्क में आए। इस समय एस. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी यहीं पढ़ाते थे। राधाकृष्णन के सुझाव पर ही उनके क्लास-नोट्स को प्रकाशित किया गया जो ‘भारतीय दर्शन की रूपरेखा’ के रूप में सामने आया। साहित्य, दर्शन और व्याकरण के क्षेत्र में उनका महत्त्वपूर्ण कार्य रहा।
उनका देहावसान 19 सितम्बर, 1950 को हुआ।