Kavalam Narayana Panicker
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कावलम नारायण पणिक्कर
जन्म : 28 अप्रैल, 1928
कवि, नाटककार, अनुवादक और एक प्रख्यात नाट्य निर्देशक। भास कृत ‘मध्यम व्यायोग’ की मंच प्रस्तुति के साथ आपने भारतीय रंगमंच पर अपनी श्रेष्ठता की छाप छोड़ी। तत्पश्चात् भास कृत ‘कर्णभारम्’, ‘उरुभंगम्’, ‘प्रतिमानाटकम्’, ‘स्वप्नकथा’; कालिदास कृत ‘शाकुन्तलम्’, ‘विक्रमोर्वशीयम्’, ‘मालविकाग्निमित्रम्’ एवं शक्तिभद्र कृत ‘आश्चर्यचूड़ामणि की माया’ आदि अन्य मंच प्रस्तुतियों से आप देश में ही नहीं विदेशों में भी एक वरिष्ठ निर्देशक के रूप में प्रख्यात हुए। आपकी नाट्य संस्था ‘सोपानम्’ को भारत एवं विदेशों के कई प्रमुख नाट्य–उत्सवों में भाग लेने का एवं कार्यशालाएँ आयोजित करने का श्रेय प्राप्त है। आप नाट्यशास्त्र एवं कुट्टियाट्टम्, कथकली, कलरिपायटु, तैयम, पडयानी तथा भारतीय रंगमंच की विभिन्न परम्परागत शैलियों के तत्त्वों—नाट्यधर्मी–लोकमर्धी—का प्रयोग करते हुए अपनी तरह के एक ‘आधुनिक रंगमंच’ की रचना करते हैं, जो हमारे रंगमंच को हमारी ‘जड़ों’ से जोड़े रखता है जिसमें ‘भाव–रस’ की ‘रचना’ एवं ‘प्रस्तुति’ सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। आपने लोक एवं शास्त्रीय परम्पराओं से प्रेरित होकर कई नाटकों की रचना भी की है तथा कई अंग्रेज़ी और संस्कृत नाटकों का मलयालम में अनुवाद भी किया है।
आपने केरल संगीत अकादमी में सचिव पद से शुरू करके केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी में उपाध्यक्ष के पद तक अपनी सेवाएँ प्रदान कीं। नाट्य-लेखन के लिए साहित्य अकादेमी से पुरस्कार सहित आप कई अन्य पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं, जिनमें प्रमुख हैं, निर्देशन के लिए—‘केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’—1983 (नई दिल्ली), ‘कालिदास सम्मान’—1995 (मध्य प्रदेश), ‘सीनियर फ़ेलोशिप फ़ॉर ड्रामा’—2000 (केरल संगीत नाटक अकादमी), ‘रत्न सदस्यता’—2002 (केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी) और ‘पद्मभूषण’—2007 (भारत सरकार)।
निधन : 26 जून, 2016