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Hariom

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हरिओम

हरिओम की उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से हुई। गढ़वाल विश्वविद्यालय, उत्तराखंड से कृष्णा सोबती के उपन्यासों पर पी-एच.डी. की उपाधि ली। अन्तरराष्ट्रीय सामाजिक अध्ययन संस्थान, हेग, नीदरलैंड से गवर्नेंस, पब्लिक पॉलिसी एंड पोलिटिकल इकॉनामी में दुबारा एम.ए. किया।

‘धूप का परचम’, ‘ख़्वाबों की हँसी’ और ‘मैं कोई एक रास्ता’ (ग़ज़ल-संग्रह); ‘अमरीका मेरी जान’ और ‘तितलियों का शोर’ (कहानी-संग्रह); ‘कपास के अगले मौसम में’ (कविता-संग्रह) उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर लिखा यात्रा-वृत्तांत ‘कैलाश मानसरोवर यात्रा : आस्था के वैचारिक आयाम’ बेहद चर्चित रहा है और इसका अंग्रेज़ी संस्करण भी आ चुका है। ‘रीथिंकिंग द रोल ऑफ़ इनफ़ार्मेशन, एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन इन पार्टिसिपेटरी रूरल सैनिटेशन इन उत्तर प्रदेश असेसिंग पॉसिबल पॉलिसी लेसंस फ्रॉम बांग्लादेश’ विषयक शोध-कार्य यूनीसेफ़ (उत्तर प्रदेश इकाई) और जर्मन के ग्लोब एडिट प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हुआ है।

साहित्य के अलावा संगीत में भी उनकी गहरी दिलचस्पी है। ग़ज़ल गायक के रूप में फ़ैज़ की ग़ज़लों का एक एलबम ‘इन्तिसाब’ आ चुका है। दूसरा एलबम ‘रोशनी के पंख’ भी ख़ासा चर्चित रहा। इसके अलावा ‘खनकते ख़्वाब’ और ‘रंग का दरिया’ एल्बम में उन्होंने ख़ुद की लिखी और संगीतबद्ध ग़ज़लें गाई हैं। कई एकल गाने भी गाए। आकाशवाणी नई दिल्ली से उन्हें बतौर गायक ‘ए ग्रेड’ का प्रमाणपत्र मिल चुका है।

उन्हें ‘फ़िराक़ सम्मान’, ‘राजभाषा अवार्ड’, ‘तुलसी श्री सम्मान’ और लंदन की एक संस्था द्वारा ‘वातायन सम्मान’ मिल चुका है।

सम्प्रति : प्रमुख सचिव, समाज कल्याण, लखनऊ, उत्तर प्रदेश।

ई-मेल : sanvihari1@gmail.com 

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