Hamada Hirosuke
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हामादा हिरोसुके
जापान के श्रेष्ठ आधुनिक बाल साहित्यकार हामादा हिरोसुके ने प्राचीन कथाओं को अपनी सरल शैली और अपने विशिष्ट अनुभवों से जोड़कर नए सिरे से लिखने का सफल प्रयास किया है। इनकी कहानियों में मानवीय दुर्बलताओं के बजाय सत्य, शान्ति, सद्भाव और सहयोग की साधना का सन्देश विद्यमान है।
हामादा हिरोसुके का जन्म 1893 में यामागाता प्रान्त के याशिरो गाँव में हुआ। बचपन में ही लोककथाओं एवं परी-कथाओं में इनकी रुचि थी। इनकी मुख्य रचनाएँ हैं : ‘नाता आका ओनी’ (‘राक्षस फूट-फूटकर रोया’, 1933), ‘हानाबिरानोताबी’ (‘पंखुड़ी की यात्रा’ 1919), ‘आरुशिमा नो खित्सुने’ (‘एक द्वीप की लोमड़ी’, 1924) एवं ‘र् योनो में नो नामिदा' (‘ड्रैगन के आँसू’, 1923)।
हामादा हिरोसुको को 1953 में वार्षिक ‘कला एवं शिक्षामंत्री पुरस्कार’ तथा ‘साइकेई बाल-साहित्य प्रकाशन संस्कृति पुरस्कार’ से दो बार (1956, 1961) सम्मानित किया गया।