Dhirendra Asthana
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धीरेन्द्र अस्थाना
अपनी पीढ़ी के कथाकारों में धीरेन्द्र अस्थाना अपनी उस पारदर्शी व बहुआयामी भाषा के लिए विशेष रूप से याद किए जाते हैं जो उनकी रचनाओं को हृदयस्पर्शी बनाती है।
25 दिसम्बर, 1956 को उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में आपका जन्म हुआ। मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर और आगरा से पढ़ाई करते हुए अन्तत: देहरादून से ग्रेजुएट।
हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ संस्थान राजकमल प्रकाशन से रोजगार का आरम्भ करने के बाद आप कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन से जुड़े रहे।
प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘लोग हाशिए पर’, ‘आदमीख़ोर’, ‘मुहिम’, ‘विचित्र देश की प्रेमकथा’, ‘जो मारे जाएँगे’, ‘उस रात की गन्ध’, ‘खुल जा सिमसिम’, ‘नींद के बाहर’ (कहानी-संग्रह); ‘समय एक शब्द भर नहीं है’, ‘हलाहल’, ‘गुज़र क्यों नहीं जाता’, ‘देशनिकाला’ (उपन्यास); ‘रूबरू’, ‘अन्तर्यात्रा’ (साक्षात्कार) आदि।
पुरस्कार : ‘राष्ट्रीय संस्कृति पुरस्कार’—1987 (मशहूर पेंटर एम.एफ़. हुसैन के हाथों); ‘मौलाना अबुल कलाम आज़ाद पत्रकारिता पुरस्कार’—1994; ‘घनश्याम दास सराफ साहित्य सम्मान’—1995; ‘इन्दु शर्मा कथा सम्मान’—1996; महाराष्ट्र की हिन्दी साहित्य अकादेमी द्वारा ‘छत्रपति शिवाजी राष्ट्रीय सम्मान’—2011 (समग्र साहित्य के लिए)।